कोई पत्थर से न मारे मेरे राणा को 

पत्रकार कमलेश भारतीय की कलम से  

कोई पत्थर से न मारे मेरे राणा को 
कमलेश भारतीय।

लीजिए । अब बात टल गयी । दीपेंद्र हुड्डा और रणदीप सुरजेवाला जहां पूर्व विधायक  सतविंद्र राणा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की बात कर रहे हैं , वहीं उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला इनके बचाव में आ गये हैं । दीपेंद्र हुड्डा ने स्पष्ट किया है कि जो फोटोज उनके पिता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ वायरल की जा रही हैं सतविंद्र राणा के साथ वे पुरानी हैं । जब वे कांग्रेस में होते थे । जो फोटोज उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के साथ हैं अब वे ही असली हैं क्योंकि राणा जजपा के उपाध्यक्ष हैं । पुरानी फोटोज पर गौर न किया जाए । दूसरी ओर दुष्यंत चौटाला कह रहे हैं कि राणा ने तो खुद शराब के गोदाम में चोरी की शिकायत दर्ज करवाई थी । यदि पुलिस मार्च में ही शिकायत के बाद कार्यवाही करती तो यह दिन न आता । पर अब भी सतविंद्र राणा सहयोग कर रहे हैं पुलिस का । कमाल है । दूसरे यह भी कि सतविंद्र राणा पर अभी शराब तस्करी का आरोप साबित नहीं हुआ । ऐसे तो कितने नेताओं पर केस चल रहे हैं । वाह । वकालत से ऊपर । रणदीप सुरजेवाला तो वकालत करके भी ऐसे तर्क नहीं ढूंढ पाए जो हमारे युवा नेता ढूंढ लाए । इसलिए यह बात या कहें कि गाने के बोल याद आए :
कोई पत्थर से न मारे मेरे राणा को ,,
राणा पर कोई कार्यवाही तब तक नहीं होगी जब तक कि वे दोषी साबित न हो जाएं । अब हमारी पार्टी और हमारी मर्जी । आपको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं?
वैसे  राजनीतिक दलों से नैतिकता, आदर्श और मूल्यों की बात करना या उम्मीद करना वैसे ही है जैसे चील के घोंसले में मांस ढूंढना । अब तो ये सारी बातें बेकार हैं और भाई अपनी अपनी पार्टी के बारे में सोचो । दूसरी पार्टी क्या कर रही है? इसका अब कोई मतलब कहां रह गया ? दिल्ली में जमाती कहां गये और कैसे रहे ,? इस पर आप और भाजपा में बहस चली लेकिन फिर अपनी अपनी पार्टी में व्यस्त हो गये । यही राजनीति का नया चेहरा है । इसे पहचानो । जितनी जल्दी पहचान लोगे , उतनी जल्दी शांति मिलेगी ।