थम गया शोर, लग गया ज़ोर
-*कमलेश भारतीय
लोकसभा चुनाव का हरियाणा में प्रचार का ज़ोर थम गया। कल होगा मतदान। लोकतंत्र का महापर्व। पांच साल बाद फिर सही। टिकट वितरण से लेकर, नामांकन और रोड शोज तक शक्ति प्रदर्शन ही शक्ति प्रदर्शन। सड़कें जाम, आम आदमी परेशान। भयंकर 47 डिग्री तापमान में प्रत्याशियों और कार्यकर्त्ताओं की कड़ी अग्निपरीक्षा। ऐसी अग्निपरीक्षा बस, सीता मैया को ही देनी पड़ी थी, ईब तो हर प्रत्याशी को देनी पड़ गयी। अंगोछे लपेटे रहे चुनाव प्रचार करने में।
स्टार प्रचारक आये और कभी हिंदू, कभी मुसलमान तो कभी पाकिस्तान और कभी जवान तो कभी किसान करते रहे। हरियाणा की दस साल रोटियां खाकर धाकड़ बनने और धाकड़ सरकार चलाने का दावा किया प्रधानमंत्री मोदी ने। प्रियंका गांधी भी आईं और सिरसा और पानीपत में किसानों की बात की और आह्वान कर गयीं कि जिसने आपका दिल्ली का रास्ता रोका, आप उसका दिल्ली जाने का रास्ता रोक लो, अश्वमेध यज्ञ के घोड़ों की लगाम थाम लो। दक्षिण हरियाणा में अग्निवीर योजना और हर बार की तरह दक्षिण हरियाणा की विकास में उपेक्षा मुद्दे बने रहे।
हरियाणा और महाभारत और कुरूक्षेत्र का बहुत पुराना नाता है। महाभारत के युद्ध की तरह लड़ा गया यह चुनाव महाभारत। हर दांव चलाया, सबने। साम, दाम, दंड और भेद कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी। पहले दौर में दलबदल और फिर सरकार से समर्थन वापसी, विधायकों का जजपा से दूरी बनाये रखना और समर्थन वापसी के बावजूद हरियाणा सरकार को गिराने की कोई कोशिश न कर, सिर्फ ध्यान लोकसभा चुनाव पर लगाये रखा सब दलों ने! ऐसा लगता है कि चार जून के परिणाम के बाद हरियाणा सरकार का भाग्य तय होगा। लोकसभा चुनाव परिणाम ही हरियाणा सरकार का भाग्य तय करेंगे कि रहेगी या जायेगी।
भितरघात का डर इस बार सिर्फ कांग्रेस को ही नहीं, भाजपा को भी सता रहा है । जजपा के विधायक क्या गुल खिलायेंगे? नाराज अनिल विज के अम्बाला छावनी का परिणाम बंतो कटारिया को राहत दिलायेगा या आफत बनेगा? हिसार में कुलदीप बिश्नोई और कैप्टन अभिमन्यु के क्या तेवर रहेंगे? उचाना में चौ बीरेंद्र व पूरव सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह मान गये थे या नहीं ? यह भी परिणाम ही बतायेगा। कांग्रेस की गुटबाजी क्या रंग दिखायेगी और किसका कांटा कौन निकाल देगा? बहुत कुछ भविष्य के गर्भ में है। कौन चार सौ पार जायेगा और कौन चालीस पचास के हेर फेर में फंसा मिलेगा? प्रियंका गांधी के रोड शो और प्रधानमंत्री की पगड़ी पहन कर गुरुद्वारे में सेवा वाले दृश्यों को पांच साल तक तरसते रह जाओगे।
फिलहाल तो जनता को रात दिन के शोर से राहत मिल गयी है। परिणाम वाले दिन फिर होली व दीवाली के रंग एकसाथ देखने को मिलेंगे और नाच गाना भी। तब तक के लिए आज्ञा दीजिये।
आराम बड़ी चीज़ है
मुंह ढांप के सोइये!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।