किसी के जैसा बनने की कोशिश नहीं, मेरा लिखने का अंदाज अलग : मुनीषा राजपाल
मैं किसी के जैसा बनने की कोशिश नहीं करती बल्कि मेरा लिखने का अंदाज अलग है । यह कहना है मुनीषा राजपाल का जो यह रिश्ता क्या कहलाता है , सास बिना ससुराल , हैरी पाॅटर की हिंदी सीरीज और दिल दीयां गल्लां जैसे अनेक लोकप्रिय धारावाहिकों की लेखिका हैं । सबसे बड़ी बात कि वे हिसार की बहू हैं और रंगकर्मी व फिल्म निर्देशक राजेश राजपाल की पत्नी हैं । इन दिनों मुनीषा राजपाल अपनी ससुराल में हैं और उनका फोन आया कि मैं आपके हिसार में हूं तो मैंने घर आमंत्रित कर लिया बातचीत के लिये !
-कमलेश भारतीय
मैं किसी के जैसा बनने की कोशिश नहीं करती बल्कि मेरा लिखने का अंदाज अलग है । यह कहना है मुनीषा राजपाल का जो यह रिश्ता क्या कहलाता है , सास बिना ससुराल , हैरी पाॅटर की हिंदी सीरीज और दिल दीयां गल्लां जैसे अनेक लोकप्रिय धारावाहिकों की लेखिका हैं । सबसे बड़ी बात कि वे हिसार की बहू हैं और रंगकर्मी व फिल्म निर्देशक राजेश राजपाल की पत्नी हैं । इन दिनों मुनीषा राजपाल अपनी ससुराल में हैं और उनका फोन आया कि मैं आपके हिसार में हूं तो मैंने घर आमंत्रित कर लिया बातचीत के लिये !
मूल रूप से पंजाब के पठानकोट निवासी मुनीषा ने वहीं के ए वी काॅलेज से ग्रेजुएशन की और बाद में पंजाब विश्वविद्यालय के इंडियन थियेटर डिपार्टमेंट से एम ए थियेटर ! यहीं हिसार के राजेश राजपाल को उनके प्रोजेक्ट्स में सहयोग करने लगीं और फिर इनके जीवन भर के प्रोजेक्ट्स एक हो गये ! इसके बाद ये लोग एनएसडी , दिल्ली भी गये । वहां मुनीषा बाल रंगमंच से जुड़ी रहीं । वहीं से सन् 1997 में दोनों ने मुम्बई का रुख किया और तब से वहीं हैं ।
-थियेटर का शौक कब से ?
-बचपन से ही । स्कूल काॅलेज में डिबेट , स्किट और अन्य गतिविधियों में भाग लेती आई । तीनों साल युवा समारोहों में भी पूरी तरह भाग लिया ।
-सबसे पहले कब लगा कि थियेटर की ओर जाना चाहिए ?
-आकाशवाणी जालंधर की जब थियेटर आर्टिस्ट चुनी गयी तब लगा कि यह कोई राह है मेरे लिये ! वहां ड्रामा प्रोड्यूसर विनोद धीर ने यह जानकारी दी कि ऐसा कोई डिपार्टमेंट पंजाब विश्वविद्यालय में है ।
-फिर क्या मम्मी पापा आसानी से मान गये ?
-नहीं । आसान तो नहीं होता लेकिन विरोध भी नहीं किया । मै तो जम्मू विश्वविद्यालय से एमबीए करने वाली थी जब विनोद धीर ने जानकारी दी और मैंने पंजाब यूनिवर्सिटी में भी फाॅर्म भर दिया और सिलेक्ट हो गयी !
-फिर क्या प्रतिक्रिया रही मम्मी पापा की ?
-पापा चमन लाल महाजन व मम्मी शकुंतला तो चाहते थे कि एमबीए करूं लेकिन जब पापा सागर से आये तब एक बार तो हक्के बक्के रह गये लेकिन फिर मान गये ! पापा मेरे आर्मी में थे । उनसे अनुशासन सीखा और समय की पाबंदी !
-एक रंगकर्मी लेखिका कैसे बन गयी ?
-जब मुम्बई में थी तब शुरू में तो एक्टिंग ही की लेकिन जब मेरी बेटी जीवन में आने वाली थी तब घर खाली बैठना अच्छा नहीं लग रहा था और राजेश ने सुझाव दिया कि क्यों न अपनी लेखन कला को परख लो ! इस तरह मुझे लेखिका बनाने में राजेश की सबसे बड़ी प्रेरणा रही और वही मेरा पहले प्रोजेक्ट्स भी लाये ! वैसे मैंने संस्कृत के धारावाहिक के कुछ एपिसोड में भी काम किया है !
-अब तक आपके लिखे हुए कौन कौन से धारावाहिक लोकप्रिय रहे ?
-यह रिश्ता क्या कहलाता है , सास बिना ससुराल , दिल दीयां गल्लां , हैरी पाॅटर की हिंदी सीरीज, डिस्कवरी और कार्टून नेटवर्क आदि के संवाद/पटकथा मेरे ही लिखे हुए हैं ।
-किस संवाद लेखक जैसी बनना /लिखना चाहती हैं ?
-किसी की जैसी नहीं बनना चाहती न लिखना चाहती । मेरा कहने का अंदाज अलग है । यही बात पहले धारावाहिक के निर्देशक राजेश बब्बर ने कही थी कि मुनीषा बातें तो वही होती है लेकिन तुम्हारा कहने का अंदाज अलग होता है ।
-परिवार के बारे में ?
-ये राजेश राजपाल आपके सामने हैं जिन्होंने मुझे हमेशा प्रेरणा दी । बहुत ध्यान रखते हैं मेरा ! और एक बेटी है हमारी पाखी जो न्यूयार्क से फिल्म लेखन का कोर्स करके आई है ।
-आगे क्या ?
बस लिखते ही जाना है । मंजिल नहीं है कोई आगे ही आगे चलते जाना है !
हमारी शुभकामनाएं मुनीषा राजपाल और राजेश राजपाल को ।