मिले न सुर कांग्रेसियों का 

मिले न सुर कांग्रेसियों का 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 

यों कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक आमंत्रित की गयी थी नया या स्थायी अध्यक्ष चुनने के लिए । राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी खुले शब्दों में कह दिया था कि गांधी परिवार से बाहर अध्यक्ष ढूंढ लीजिए लेकिन कांग्रेस में अभी इस परिवार के बाहर जाकर देखने की शक्ति या सूझ नहीं आई है । जैसे उड़ि जहाज को पंछी , उड़ि जहाज पे आवे । वैसा ही होता है कांग्रेस में । वर्किंग कमेटी की बैठक में नतीजा वही-ढाक के तीन पात । यानी अगले छह माह और श्रीमती सोनिया गांधी ही इसकी अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी । यह प्रस्ताव पारित कर सारी बातों टाल मिट्टी डाल दी गयी । जैसे राहुल गांधी का एतराज कि जब सोनिया गांधी अस्पताल में भर्ती थीं तब ऐसी चिट्ठी किसलिए? इसका मतलब भाजपा के साथ मिलीभगत ? बस । इस पर पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद रूठ गये कि हमने कब भाजपा से मिलीभगत की ? सिब्बल बोले कि पिछले तीस साल से कभी भाजपा के पक्ष में बयान नहीं दिया । गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यदि यह षाबित हो जाये तो वे इस्तीफा दे देंगे । उन्होंने भी ट्वीट करने में देरी नहीं की । बाद में राजी होकर ट्वीट हटा भी दिए । पर कांग्रेस की अंदरूनी झांकी तो आम आदमी को मिल ही गयी । यह भी कहा जा रहा है कि राहुल गांधी को अध्यक्ष बनवाने की सोनिया गांधी की कोशिशें नाकाम रहीं । उन्होंने दुख भी जताया पर किस बात पर यह स्पष्ट नहीं । 

जहां सोनिया ने अध्यक्ष पद छोड़ने की ऑफर दी , वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें पद पर बने रहने का आग्रह किया जो स्वीकार कर लिया । जो भी हो कांग्रेस को आत्म-मंथन की जरूरत है । हाल फिलहाल जिस तरह राजस्थान में अकेले अपने दम पर अशोक गहलोत ने सरकार बचा ली , वह करिश्मे से कम नहीं । फिर भी कांग्रेस में जोश क्यों नहीं ? हरियाणा के बरोदा में उपचुनाव है और बिहार में चुनाव आने वाले हैं । कांग्रेस की क्या तैयारी है ? कांग्रेस को अपने संगठन पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है । हरियाणा में ही नये जिलाध्यक्ष नहीं बनाये गये जबकि सुश्री सैलजा को अध्यक्ष बने समय हो गया । आखिर जो कैडर जिले और ग्रामीण स्तर तक पदाधिकारी ही नहीं बनाता तो चुनाव में उसका बस्ता कौन उठाने आयेगा ? जमीनी स्तर तक हरियाणा की प्रदेशाध्यक्ष को जाकर कार्यकर्त्ता को जोड़ने के प्रयास करने होंगे । कांग्रेस में शुरू से ही नर्म और गर्म दल रहे हैं । यह एक स्वस्थ लोकतांत्रिक दल की निशानी है लेकिन कुछ अनुशासन भी होना चाहिए ।