समाचार विश्लेषण/अब शाहरूख की 'पठान' पर विवाद
-*कमलेश भारतीय
फिल्मों पर विवाद पहली बार नहीं है । ऐसा समय आया है कि विवादों में फिल्में आती जा रही हैं । यह कला, साहित्य और फिल्म के लिए बहुत शुभ संकेत नहीं कहे जा सकते । इमर्जेंसी में 'किस्सा कुर्सी' का फिल्म की चर्चा रही और इसे रिलीज तक होना नसीब न हुआ । कभी 'उड़ता पंजाब' फिल्म विवादों में रही थी पंजाब में चुनाव के समय इस पर खूब हल्ला हुआ था । यहां तक कहा गया कि अरविंद केजरीवाल ने इस फिल्म के लिए फंडिंग की है । निर्देशक ने कहा कि यदि ऐसा होता फिर तो फिल्म निर्माण बड़ा आसान होता । चुनाव बीतने के साथ ही उड़ता पंजाब को भी लोग भूल गये । न तब फिल्म चली और न ही अरविंद केजरीवाल को सफलता मिली । इस बार बिना किसी फिल्म के ही पंजाब में सफलता मिल गयी !
इसी तरह अनुपम खेर की फिल्म -एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर भी विवाद में आई । कांग्रेस ने इसका प्रदर्शन चुनाव से पहले न होने दिया । वैसे गुलजार की आंधी भी विवाद में रही । माना गया कि यह श्रीमती इंदिरा गांधी के जीवन से जोड़कर बनाई गयी है और उनकी छवि को प्रभावित कर रही है । तब कमलेश्वर को स्पष्टीकरण देने आगे आना पड़ा था । इसी प्रकार दीपिका पादुकोण की एक और फिल्म रानी पद्मावत भी खूब मुश्किल में रही । निर्देशक संजय लीला भंसाली को राजस्थान में किसी ने तमाचा तक जड़ दिया था शूटिंग के दौरान और फिर मुम्बई में ही शूटिंग करनी पड़ी थी । वैसे वाजीराव मस्तानी विवाद से बच गयी ।
अभी कश्मीर फाइल्ज को भी भाजपा के एजेंडे पर बनी फिल्म माना गया और विवाद के बीच ही फिल्म हिट हो गयी । मिस्टर परफेक्शनिस्ट यानी आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्डा को भी एक वर्ग विशेष का शिकार होना पड़ा और फिल्म को सफलता नहीं मिली । एक बार आमिर खान ने बयान दे दिया था कि मैं और मेरी पत्नी सोचते हैं कि यह देश अब रहने के काबिल नहीं रह गया । इस पर एक वर्ग ने विरोध किया और इस फिल्म के रिलीज पर अपना गुस्सा निकाला कि जब यह देश रहने के योग्य ही नहीं , फिर यहां से शोहरत और पैसा किसलिए ?
अब बारी 'पठान' फिल्म की आई है । शाहरूख खान और दीपिका पादुकोण के एक गाने के समय दीपिका के भगवा रंग के वस्त्रों पर आपत्ति है कि इसे अश्लीलता के साथ क्यों जोड़ दिया गया है ? दीपिका पादुकोण को भी अश्लीलता के लिये ट्रोल किया जा रहा है और फिल्म पर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस पर बैन लगाने की मांग की है । इस पर अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने चुटकी लेते ट्वीट किया है -मिलिये हमारे देश के सत्ताधारी राजनेताओं से ! अभिनेत्रियों के कपड़ों को देखने से ही फुर्सत मिलती तो कुछ काम कर लेते !
गुजरात में भी पठान को बैन किये जाने की मांग उठाई जा रही है । कहा जा रहा है कि भगवा को अश्लीलता से जोड़कर फिल्म में गाना फिल्माया गया है । यह गाना बाॅलीवुड की विकृत हिंदू विरोधी मानसिकता को दर्शाता है । भोपाल की साध्वी और सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने भी अपील की है कि ऐसे हीरो हीरोइन को जिन्होंने भगवा को बेशर्म कहा उनको जवाब दो ! इनके पेट पर लात मारो ! इनकी कोई फिल्म मत देखो । इनके पेट पर लात पड़ेगी तो ये भाग जायेंगे ! अयोध्या के महंत राजूदास इससे एक कदम आगे बढ़कर कहते हैं कि विवादित फिल्म लगे तो थियेटर फूंक देना चाहिए । भगवा कपड़ों में विकास का विरोध होना चाहिए ।
इस तरह के माहौल में पठान कब तक टिक पायेगी ? इस तरह के माहौल में फिल्में , साहित्य और संस्कृति को कैसे बचाये रखा जायेगा ? अश्लीलता के पक्ष में नहीं हूं । पर किसी रंग को किसी भी धर्म व समाज के साथ जोड़कर देखना और विरोध करना कितना सही है ? ऐसे असहिष्णु माहौल में क्या फिल्में बनेंगी और कैसी बनेंगी ?
थोड़ा या ज्यादा विचार की जरूरत है ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।