अब बात कांग्रेस के डीएनए की
-*कमलेश भारतीय
लीजिए, अब बात यहां तक पहुंची यानी कांग्रेस के डीएनए तक आ गये केंद्रीय कृषि मंत्री वर्ष मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यसभा में बोल गये ये बोल कि कांग्रेस का डीएनए तो किसान विरोधी है । उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना लगाते कहा कि कांग्रेस ने कभी कृषि को प्राथमिकता नहीं दी । फिर चाहे प्रधानमंत्री नेहरू रहे हों या फिर इंदिरा गांधी या राजीव गाँधी।बात बड़ी बोल गये मध्यप्रदेश में लोगों के 'प्यारे मामा' कहे जाने वाले शिवराज सिंह चौहान। पता नहीं क्यों, मुख्यमंत्री रहते इनका एक फोटो थुंधला सा याद आ गया । दिन यही थे यानी मानसून के। और ये थे मुख्यमंत्री और बरसात से हुई बर्बादी का जायजा लेने जा रहे हैं और दो सुरक्षाकर्मी इन्हें अपनी बाहों में गोद में झुलाते बच्चे की तरह ले जा रहे हैं। ऐसा तो इनका अपना इतिहास है कि जायजा लेने गये थे या सुरक्षाकर्मियों की बाहों में झूला झूलने? बरसात के पानी में जो उतर कर जायजा भी नहीं ले पाये तो कैसे लोगों की पीड़ा, दुख, तकलीफ को समझ पाये होंगे? कहते हैं न कि जिसके पैर न फटी बिबाई, सो क्या जाने पीर पराई। बरसात के पानी और कीचड़ से बचते जायजा कैसा रहा होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं। अब सीधे कांग्रेस के किसान विरोधी होने का आरोप लगा दिया। नेहरू, इंदिरा या राजीव ने किसानों का भला किया या नहीं लेकिन उनके शासनकाल में एक साल से ऊपर कोई किसान आंदोलन भी तो नही चला। सात सौ किसान आंदोलन के दौरान कुर्बान तो नहीं हुए और किसान ही थे, जिन्होंने तीन कृषि कानूनों का विरोध कर, कुर्बानियां देकर केंद्र सरकार को झुकाया। क्या कभी कांग्रेस शासनकाल में किसानों को इतना बड़ा आंदोलन करने का फैसला करना पड़ा? वैसे तो जवाहर लाल नेहरू पर हर दोष मढ़ते चले आ रहे हैं लेकिन लाल बहादुर शास्त्री को भी याद कर लिया होता, जिन्होंने 'जय जवान, किसान' का नारा देकर किसान की जय जय करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, जिसे आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान तक पहुंचा दिया यानी भाजपा ने जय किसान के शास्त्री के नारे को स्वीकार किया। सबसे बड़ी बात कि मिनिमम रेट प्राइस यानी एम आर पी पर आश्वासन देकर किसान आंदोलन समाप्त करवाया, बाद में यह सब ठंडे बस्ते में डाल दिया। किसान फिर से आंदोलन की राह पर चल पड़े। कृषि मंत्री चौहान को इस बात पर गौर करना चाहिए न कि दूसरों के डीएनए की जांच से किसान को कुछ मिलने वाला है। वैसे तो भाजपा में मध्यप्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया, उत्तर प्रदेश से युवा कांग्रेस नेता जितिन, पंजाब से रवनीत बिट्टू ही नहीं सभी राज्यों से कांग्रेस नेता भारी संख्या में शामिल हो चुके हैं तो ऐसे में भाजपा का डीएनए कैसा हो गया होगा या होने वाला है? इस अनुशासित पार्टी में हरियाणा में पहली बार फूट नज़र आ रही है। ये नये डीएनए का असर हो रहा है कि नहीं ?
मज़ेदार बात है कि कभी जवानों को गौरवान्वित करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का काफी समय तक गुणगान करते रहे प्रधानमंत्री लेकिन बदले में दी अग्निवीर योजना, यानी सिर्फ चार साल की नौकरी। फिर घर जाओ। यह है जय जवान का हश्र और कड़वा सच।
खैर, इतना ही कहेंगे कि
तुझे पराई क्या पड़ी
अपनी निबेड़ भाई!!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।