समाचार विश्लेषण/अब चुनाव मोड में राजनीतिक दल
-*कमलेश भारतीय
सभी राजनीतिक दल अब आने वाले विधानसभा चुनावों के मोड में आ चुके हैं । तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी ओर संकेत किया है कि और खतरा मोल नहीं ले सकते । खासतौर पर किसान आंदोलन के चलते उत्तर प्रदेश , पंजाब और उत्तराखंड में नुकसान उठाने का जोखिम नहीं लिया जा सकता था और इसे देखते हुए बिना किसी वार्ता के , फोन काॅल की दूरी बनाये रखते हुए सीधे टीवी पर आए और कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी । भक्तों ने जय जय कार शुरू की तो मोदी मीडिया ने माहौल बनाने की जिम्मेदारी संभाली । इसके बावजूद अभी किसान मोर्चा डटा हुआ है और जब तक संसद में ये कानून वापस नहीं होते तब तक लौंटेंगे नहीं और पूर्व घोषित कार्यक्रम भी जारी रखेंगे । जैसे आज की लखनऊ रैली होगी । एक और मांग भी की जाने लगी है कि अजय मिश्रा को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया जाये क्योंकि उनके सिर पर लखीमपुर खीरी का कांड बोल रहा है ।
इस तरह साहब ने वापसी का ऐलान तो किया लेकिन लगता है देरी कर दी फैसला लेने में । विपक्ष जहां इसे भाजपा की हार बता रहा है वहीं भाजपा समर्थक इसे मोदी का मास्टर स्ट्रोक मान कर प्रशंसा कर रहे हैं । भाजपा के नये नये बने दोस्त कैप्टन अमरेंद्र सिंह भी नरेंद्र मोदी की तारीफ करने में लग गये हैं । हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एम एस पी को भी गंभीर मुद्दा बताते इसका निवारण करने की मांग की है । कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी ने इसे अहंकार का चूर चूर होना कहा है तो भाजपा में शामिल हरियाणा के चौधरी वीरेंद्र सिंह इसे बड़ा समझदारी से उठाया कदम बता रहे हैं । अब राय देने का श्रेय भी ले सकते हैं कुछ नेता । खैर ।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की गतिविधियां भी बढ़ती जा रही हैं । अखिलेश की आवाज़ में भी दम आ गया है जबकि बहन मायावती अभी पूरा माजरा समझने के मूड में हैं । क्या पता गठबंधन की संभावना दिख रही हो ?
इधर भाजपा में शामिल गांधी परिवार के चिराग वरूण गांधी काफी मुखर होते जा रहे हैं और ऐसी चर्चा चल निकली है कि वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं । राजस्थान में सचिन पायलट खेमे को मंत्रिमंडल विस्तार कर खुश करने राजस्थान में सब कुछ ठीक ठाक दिखाने की कांग्रेस की कोशिश है । नहीं संभल रहा तो पंजाब में सिद्धू व चन्नी के बीच विवाद और सिद्धू की बयानबाज़ी जो कांग्रेस को जब तब परेशानी में डाल देती है जैसे इमरान 'मेरे बड़े भाई हैं' जैसे बयान को विपक्ष लेकर उड़ पड़ा है । चुनाव से पहले सिद्धू व चन्नी के बीच तालमेल ऑ बैठा तो कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है ।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपना मुफ्त का पिटारा लेकर निकल पड़े हैं । पहले पंजाब में बिजली बिल का कुछ यूनिट तक माफी का ऐलान किया अब उत्तराखंड में मुफ्त तीर्थयात्रा की घोषणा की है । यदि इसी तरह मुफ्त मुफ्त का नारा सारी राजनीतिक पार्टियां लगाती रही तो सभी को तीर्थयात्रा पर निकलना पड़ेगा । यह निश्चित है । मुफ्त मुफ्त में बड़ा आकर्षण है लेकिन आर्थिक व्यवस्था जो चरमरा जायेगी उसका जिम्मेदार कौन होगा?
धीरे धीरे ये चुनाव मोड क्या क्या रंग दिखायेगा और घोषणायें सामने आयेंगी , बस, थोड़ा इंतजार का मज़ा लीजिए ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।