अब होगा आमना सामना : राजनीति का सच
-*कमलेश भारतीय
जी हां, एक रियल्टी शो आता था-सच का सामना तो वही सच का सामना होने जा रहा है हरियाणा की राजनीति में ! वैसे यह सामना पहली बार नहीं हो रहा । यानी एक ही परिवार के लोगों का आमने सामने आकर चुनाव लड़़ना । अभी ज्यादा समय नहीं बीता लोकसभा चुनाव हुए, जब हिसार के लोगों ने देखा देवरानी जेठानी को आमने सामने, ससुर और बहुओं को आमने सामने तीर कमान थामे हुए । सच, हरियाणा की धरती ही महाभारत के लिए सही युद्धस्थल थी, यह मानना ही पड़ेगा । कौरव पांडव भाई भाई यहीं आकर एक दूसरे पर तीरों पे तीर चलाते रहे । वही धरती अब भी रंग दिखा रही है । तोशाम में कांग्रेस ने चौ बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी को टिकट देकर अपनी ही बहन श्रुति चौधरी के सामने उतार कर सच का सामना करवा दिया है । अब राज्यसभा में तो किरण चौधरी निर्विरोध पहुंच गयीं लेकिन बेटी को विधानसभा पहुंचाने में क्या क्या पापड़ बेलने पड़ेंगे, ये तो वही जानें । लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जड़ें खोद, भितरघात किया और चुनाव के बाद घोषित रूप से भाजपा का कमल थाम लिया और इनाम में मिली राज्यसभा की टिकट ! माफी चाहुंगा! घर के भेदियों को इनाम मिलते ही आये हैं, यह इतिहास व धार्मिक ग्रंथों में दर्ज है । कोई नयी बात नहीं । अब सच का, राजनीति के सच का सामना करने का समय आ गया है । जैसे कांग्रेस किरण चौधरी के भितरघात से परेशान थी, वैसे ही अब किरण चौधरी भाजपा में ही भितरघात से मन ही मन कांप रही होंगीं । क्या वे अपने व चौ बंसीलाल परिवार के धुर विरोधी व अब भाजपा सांसद धर्मवीर से सहयोग की आशा कर सकती हैं? जैसे टोहाना मे पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली भाजपा टिकट तो ले आये लेकिन राज्यसभा सदस्य सुभाष बराला से सहयोग नहीं मिल रहा । जैसे हिसार में डाॅ कमल गुप्ता भाजपा टिकट तो ले आये लेकिन पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल और पूर्व मेयर गौतम सरदाना के असहयोग आंदोलन से परेशान हो रहे हैं । हालांकि अपने बैनरों में दोनों के खूबसूरत मुखड़े भी लगाये हैं लेकिन जहां सावित्री जिंदल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, वहीं गौतम सरदाना अपने सहयोगियों से सलाह लेकर नामांकन से पहले कोई महत्त्वपूर्ण फैसला लेने जा रहे हैं, जो निर्दलीय चुनाव लड़ना भी हो सकता है । भाजपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष तरूण जैन पहले ही भाजपा छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं । इस तरह तीसरी बार चुनाव जीतने की डाॅ कमल गुप्ता की डगर बहुत कठिन नज़र आ रही है । आदित्य घौटाला भी भाजपा से निराश होकर बड़े चौटाला की शरण में गच्छामि हो गये हैं ।मज़ेदार मुकाबला देखने को एक बार फिर मिलेगा उचाना में । जहां चौ बृजेन्द्र सिंह एक बार आमने सामने होंगे पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के । इस तरह राजनीति में आमना सामना देखने को मिलेगा, दिल थाम कर बैठिये ।
ये किस्मत आजमा कर हम भी देखे़ंगे ! शायर कह रहा है :
कितनी दीवारें उठी हैं एक घर के दरम्यां
घर कहीं गुम हो गया दीवार-ओ-दर के दरम्यां !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।