जम्मू कश्मीर का सच अधिकारी की जुबानी
-कमलेश भारतीय
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने के एक वर्ष बाद इस राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने इस राज्य में फैले भ्रष्टाचार पर गहरी चिंता व्यक्त करते कहा कि यदि मैं यहां के भ्रष्टाचार के बारे में लिखूं तो वह किताब शायद बेस्ट सेलर किताब होगी । उनके अनुसार पिछले दस वर्ष से यहां 6500 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं । यहां सरकारों ने अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए न केवल भ्रष्ट तरीके से काम किया बल्कि सरकारी पैसे को कुछ परिवारों तक ही सीमित कर दिया । चाहे नौकरशाही हो , चाहे बिजनेसमेन या बैंकर्स या फिर न्यायपालिका सब ने यानी हर वर्ग ने राज्य को जन्नत से जहन्नुम बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी । भ्रष्टाचार को बाकायदा सिस्टेमेटिक बना दिया गया । जब मुझे यहां का मुख्य सचिव बनाया गया तब देश के सर्वोच्च नेता ने कहा था कि इस इलाके को साफ करो । इस तरह मैंने अपना कार्यभार संभाला था । अब ऐसा प्लान बनाया गया है कि आतंकवादी की ज़िंदगी की अवधि मात्र एक दिन से लेकर ज्यादा से ज्यादा नब्बे दिन तक सिमट जायेगी । यानी बड़ी कार्यवाही होगी ।
कश्मीर की चर्चा देश विदेश में होती रहती है और हम भारतवासी एक ही बात कहते हैं कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है और यह भारत का अटूट अंग है पर इसके बाशिंदों को किन किन हालात में जीना पड़ रहा है , ये वे ही जानते हैं । पिछले एक साल से इंटरनेट जैसी सुविधा न मिलने से परेशान हैं । मुख्य सचिव ने यह भी लिखा है कि युवाओं के साथ में नौकरी न देकर पत्थर पकड़ा दिए गये जो गलत कदम था अब 35000 नौकरियां निकाली जायेंगी जिससे युवा वर्ग मुख्यधारा से जुड़ा रहे और लोकतंत्र में विश्वास डगमगाये नहीं ।
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा कर जो वाहवाही लेनी या मिलनी थी वह मिल चुकी । अब काम करके दिखाने का समय आ गया है । अभिनेता अनुपम खेर भी कश्मीर पर समय समय पर चिंता व्यक्त करते रहते हैं । इसके बावजूद ज्यादा प्रगति नहीं हुई योजनाओं में । जस की तस रहती है स्थिति । कश्मीर की समस्याओं को लेकर फिल्में भी बनीं और चर्चित हुईं लेकिन फिल्म तक ही बात सिमटी रही । असली तस्वीर नहीं बदली ।
मुख्य सचिव से पहले दो अधिकारी ऐसे रहे जिन्होंने लम्बे समय तक इस राज्य में अपनी सेवायें दीं । जगमोहन और एन एन बोहरा । दोनों आईएएस अधिकारी रहे और कश्मीर की कमान इनको समय समय पर सौंपी गयी । काफी प्रभावशाली ढंग से काम किया । सुब्रमण्यम चाहें तो इनके अनुभव का लाभ उठा सकते हैं । अभी तक पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को स्वतंत्रता नहीं दी गयी जबकि उमर अब्दुल्ला स्वतंत्र हैं । यह भी कहने वाले कहते हैं कि सचिन पायलट ने अपने इस निकट संबंधी की स्वतंत्रता के लिए ही कांग्रेस से विद्रोह किया और भाजपा का हाथ थाम रखा है । जबकि उमर अब्दुल्ला इसे कोरी गप कहते हैं । खैर । जम्मू कश्मीर की चर्चा स्वतंत्रता दिवस के निकट बहुत होती है और इस बार तो इसलिए भी कि धारा 370 हटाये जाने को एक वर्ष हो गया है । क्या खोया , क्या पाया पर चिंतन तो होगा ही ।