भाषा शिक्षकों के लिए “अनुवाद की संस्कृति” पर रिफ्रेशर कोर्स कल से
9 राज्यों के 35 शिक्षक होंगे शामिल
चंडीगढ़: पंजाब विश्वविद्यालय के यूजीसी-मानव संसाधन विकास केंद्र (एच.आर.डी.सी.) के द्वारा भारतीय भाषाओं के शिक्षकों के लिए 19 दिसंबर से 2 सप्ताह का पुनश्चर्या पाठ्यक्रम (रिफ्रेशर कोर्स) शुरू किया जाएगा। एच.आर.डी.सी के मानद निदेशक प्रो. एस. के. तोमर ने बताया कि इस ऑनलाइन पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में करीब 35 प्रतिभागी शामिल होंगे जो देश के विभिन्न हिस्सों पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश व चंडीगढ़ से हैं। इनमें पांच भाषाओं अंग्रेजी, हिंदी, पंजाबी,संस्कृत और मराठी के शिक्षक शामिल हैं।
एच.आर.डी.सी की उपनिदेशक डॉ जयंती दत्ता ने बताया कि इस पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री करेंगे। उद्घाटन सत्र में प्रसिद्ध पत्रकार व चिंतक श्री राहुल देव मुख्य वक्ता होंगे जबकि सोफिया विश्वविद्यालय, बुल्गारिया के विजिटिंग प्रोफेसर आनंदवर्धन शर्मा विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल होंगे।
पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के कोर्स समन्वयक व हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गुरमीत सिंह ने बताया कि इस पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का केंद्रीय विषय 'अनुवाद की संस्कृति और संस्कृति का अनुवाद' रखा गया है। उन्होंने कहा कि आज के समय में अनुवाद का महत्त्व जहां बहुत बढ़ा है वहीं उसके क्षेत्रों में भी विस्तार हुआ है। भाषाओं के परस्पर संबंधों को सुदृढ़ करने में अनुवाद की भूमिका के मद्देनजर इस कोर्स का केंद्रीय विषय चुना गया है। 19 दिसंबर से 1 जनवरी तक चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान देश - विदेश के लगभग 30 से अधिक विद्वान अपने ज्ञान से प्रतिभागियों को लाभांवित करेंगे। इनमें प्रो. शिव कुमार सिंह (पुर्तगाल), प्रो. आनंदवर्धन शर्मा (बुल्गारिया), प्रो. भीम सिंह दहिया (पूर्व कुलपति, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय), श्री बालेंदु शर्मा (निदेशक माइक्रोसॉफ्ट), डॉ. चंद्र त्रिखा (निदेशक हरियाणा उर्दू अकादमी, पंचकूला), प्रो. एच. एस. रंधावा (कुरुक्षेत्र), डॉ. धनंजय चोपड़ा (इलाहाबाद), प्रो. शशि मुदिराज (हैदराबाद), प्रो. प्रभाकर सिंह (बीएचयू, बनारस), श्री विनोद संदलेश (संयुक्त निदेशक, केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, दिल्ली), प्रो. शाशिधरन (कोची,केरल), प्रो. जय कौशल (आसाम), प्रो. दिलीप शाक्य (जामिया,नई दिल्ली), प्रो. सुधीर प्रताप सिंह (जेएनयू, नई दिल्ली), प्रो. कुमुद शर्मा (दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो. विजय लक्ष्मी (मणिपुर) , डॉ राजिंदर सेन(बठिंडा)एवं प्रो. दिनेश चमोला( उत्तराखंड) शामिल हैं। इसके साथ ही पंजाब विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग से प्रो. दीप्ति गुप्ता, प्रो. पुष्पिंदर स्याल व प्रो. राना नय्यर, पंजाबी विभाग से प्रो. सरबजीत सिंह व प्रो. गुरपाल सिंह, संस्कृत विभाग से प्रो. वी. के. अलंकार और हिंदी विभाग से प्रो बैजनाथ प्रसाद विषय विशेषज्ञ के रूप में अपने विचार व्यक्त करेंगे।