पेंटिंग से मिलती है खुशी: सचदेव मान

पेंटिंग से मिलती है खुशी: सचदेव मान
सचदेव मान।

-कमलेश भारतीय 
पेंटिंग से मुझे खुशी मिलती है । बचपन से ही ड्राइंग में मेरी गहरी रूचि थी । दादा जी ने मुझे पहचाना और पेंटिंग के लिए प्रोत्साहित किया । यह कहना है पेंटर आर्टिस्ट सचदेव मान का । वे मूलत: गोहाना के निकट गांव महमूदपुर के निवासी हैं । रोहतक से ग्रेजुएशन और फिर दादा जी की प्रेरणा से शिमला में आर्टस एंड ड्राइंग का कोर्स करने गया लेकिन पता चला कि यह चंडीगढ़ शिफ्ट हो चुका है । इस तरह चंडीगढ़ के इसी काॅलेज से पांच साल का कोर्स किया । 
-जाॅब कहां से ?

-पहले पंजाब के स्वास्थ्य व शिक्षा विभागों में कार्यरत रहा । 
-फिर हिसार कब से ?
-हिसार के चौ चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आर्टिस्ट के तौर पर आया । आठ साल बाद चीफ आर्टिस्ट और फिर प्रदर्शनी अधिकारी के तौर पर काम करते सेवानिवृत हुआ ।
-कहां कहां आपकी पेंटिंग प्रदर्शनियां कहां कहां लगीं?
-चंडीगढ़ में दो , हिसार में तीन , अफगानिस्तान के काबुल में एक और जर्मनी में एक ।
-आपके प्रिय आर्टिस्ट ?
-माइकल एंजलो ।  
-हिसार में कला और पेंटिंग पर क्या कहेंगे ?
-पहले तो ज्यादा रूचि नहीं थी । अब समाज कुछ जागरूक हुआ है । इसीलिए मैंने तीन तीन प्रदर्शनियां हिसार में लगाईं ताकि जागरूकता बने । अब भी कोचिंग ज्यादा और पेंटिंग कम । 
-क्या धर्मपत्नी और परिवार का साथ है ?
-बिल्कुल । मेरी पत्नी कृष्णा का पूरा सहयोग । उनके सहयोग के बिना कुछ न कर पाता । घर में इधर उधर मेरा सामान बिखरा रहता है और वे संवारती रहती है । 
-लक्ष्य ?
-अब बस पेंटिंग करते जाना । 
हमारी शुभकामनाएं सचदेव मान को ।