पेंटिंग शब्दों की सीमा के दायरे के बाहर  संवेदना जगाती है : महेंद्र विवेक

पेंटिंग शब्दों की सीमा के दायरे के बाहर  संवेदना जगाती है : महेंद्र विवेक
कला कार्यशाला की फोटो/कमलेश भारतीय।

कमलेश भारतीय
पेंटिंग शब्दों की सीमा के दायरे सेना आगे जाकर मनुष्य की स़वेदना को जगाती है । यह बात कही डीएन काॅलेज के इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ महेंद्र विवेक ने । अवसर था कैम्प चौक के निकट सुरभि आर्ट गैलरी द्वारा आयोजित दो दिवसीय कला कार्यशाला के प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान करने का ! डॉ महेंद्र विवेक कार्यक्रम के अध्यक्ष थे जबकि हरियाणा ग्रंथ अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष व कथाकार कमलेश भारतीय विशिष्ट अतिथि थे । दिल्ली से आये प्रसिद्ध चित्रकार लक्ष्मण कुमार व रोहतक से आये मोहन ने युवा चित्रकारों को कला की बारीकियां सिखाईं । बनी सिंह जांगडा भी अतिथि के रूप में मंच पर मौजूद रहे जबकि प्रभावशाली मंच संचालन विनीत जांगड़ा ने किया। प्रारम्भ में आर्ट गैलरी के संचालक व हरियाणा के प्रसिद्ध पेंटर आर्टिस्ट डॉ राजेश जांगड़ा ने अतिथियों का स्वागत् व परिचय दिया । उन्होंने बताया कि सुरभि आर्ट गैलरी सामाजिक कार्यों में भी योगदान करता है व पर्यावरण रक्षा के लिए पौधारोपण भी करता है । 
डॉ महेंद्र विवेक ने कहा कि शिक्षक की छात्र के साथ कोई प्रतियोगिता नहीं होती बल्कि वह अपने शिष्य को ऊंडाइयां छूते देख प्रसन्न होता है । सुरभि आर्ट गैलरी के डॉ राजेश जांगड़ा व उनकी पत्नी गीता जांगड़ा ऐसे ही उदार शिक्षक हैं । कला मनुष्य के भीतर संवेदना को जगाने का काम करती है । कार्यशाला सीखने व सिखाने का काम करती है । 
विशिष्ट अतिथि कमलेश भारतीय ने शहीद भगत सिंह के खटकड़ कलां में कैसे उनके पैतृक घर के जीर्णोद्धार के लिए आलेख लिखकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया व भगत सिंह के परिवारजनों की जानकारी दी । 
बाद में डॉ महेंद्र विवेक, कमलेश भारतीय, लक्ष्मण कुमार, मोहन व डॉ राजेश जांगड़ा ने प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किये ।