गांधी और अंबेडकर की तरह आज प्रेमचंद भी जरूरी
हिंदी विभाग द्वारा प्रेमचंद जयंती व्याख्यान आयोजित
चंडीगढ़: पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष में आयोजित प्रेमचंद जयंती उत्सव 2020 के अंतर्गत हर शुक्रवार आनलाइन विशेष व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। इसी व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत दूसरी कड़ी में आज विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो.शैलेन्द्र कुमार शर्मा शामिल हुए। उन्होंने 'प्रेमचंद और हमारे समय के सवाल' विषय पर अपने वक्तव्य में कहा कि प्रेमचंद ने अपने समय में जो सवाल महिला,दलित एवं शोषित वर्ग की ओर से खड़े किये वह आज भी ज्यों के त्यों ही बने हुए हैं। उन्होंने बताया कि जो छलांग प्रेमचंद के लेखन द्वारा हिंदी साहित्य की लघुकथाओं,कहानियों और उपन्यासों ने विश्व स्तर पर लगाई है वह यदि प्रेमचंद नहीं हुए होते तो कई दशक तक हम नहीं लगा पाते और प्रेमचंद ने बड़ी सहजता से ही यह कर दिया। प्रेमचंद के समक्ष उस समय की चुनौती पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि प्रेमचंद को जहां अंदर रूढ़िग्रस्त समाज पर चोट पहुंचानी थी तो साथ ही साथ बाहर अंग्रेजी हुकूमत पर भी प्रहार करना था और प्रेमचंद इस चुनौती को स्वीकारते हुए अपने लेखन में पूरी तरह सफल भी हुए। प्रेमचंद के साहित्य के कालजयी होने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता(Artificial Intelligence) के इस युग में धन केंद्रित सभ्यता मनुष्य को भौतिक पदार्थ बना रही है जिसे प्रेमचंद ने उस समय ही देखते हुए जो सवाल खड़े किये वह आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं। उन्होंने विशेष तौर पर बताया कि प्रेमचंद ने अपने साहित्य में न केवल स्वराज बल्कि सुराज की मांग की तथा प्रेमचंद की दृष्टि में चेहरे बदल जाने से व्यवस्था नहीं बदलती जबकि सबसे अधिक महत्व ही व्यवस्था में बदलाव का होता है। उन्होंने प्रेमचंद को बुद्ध,महावीर,गांधी,अंबेडकर,कबीर तथा तुलसीदास जैसे महान विचारकों के समकक्ष रखते हुए कहा कि प्रेमचंद भी आज समाज में उतने ही महत्वपूर्ण हैं। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से 75 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें चेन्नई, गुवाहाटी, समस्तीपुर, चंदौली दिल्ली और विभाग के शोधार्थी एवं विद्यार्थी शामिल रहे। विभागाध्यक्ष गुरमीत सिंह ने बताया कि हिंदी विभाग हर वर्ष प्रेमचंद जयंती उत्सव का आयोजन करता रहा है, इस वर्ष महामारी के कारण यह उत्सव ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया जा रहा है जिसमें एक पखवाड़े तक अनेक कार्यक्रमों को आयोजित किया जा रहा है। इसकी शुरुवात विशेष व्याख्यान श्रृंखला की पहली कड़ी के रूप में डॉ.हरीश नवल के व्याख्यान के साथ हुई। इस पखवाड़े में विशेष व्याख्यान श्रृंखला के अलावा लघुकथा लेखन प्रतियोगिता भी करवाई गयी जिसमें प्रवृष्टी भेजने की अंतिम तिथि तक देश के तमाम हिस्सों से विद्यार्थियों ने 50 से अधिक लघुकथाएं भेजी हैं। इसमें उत्सव में प्रेमचंद जयंती के दिन वेब गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा जिसमें डॉ.जितेंद्र श्रीवास्तव 'प्रेमचंद का स्वप्न समाज' विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे तथा उसी सत्र में लघुकथा लेखन प्रतियोगिता के परिणाम की घोषणा की जाएगी। इसके अतिरिक्त 21 जुलाई को प्रेमचंद की कहानियों पर आधारित कहानी वाचन श्रृंखला की भी शुरुवात की गयी जिसमें अब तक 4 कहानियां विभाग के फेसबुक पेज से प्रसारित की जा चुकी हैं तथा इस श्रृंखला को लेकर भी देशभर से खासा उत्साह देखने को मिला है। आज के कार्यक्रम में प्रो. नीरजा सूद, प्रो. नीरज जैन, प्रो. सत्यपाल सहगल, प्रो. पंकज श्रीवास्तव व डॉ. राजेश जायसवाल आदि अनेक शिक्षक भी शामिल रहे।