पंकज उधास ने कर दिया उदास 

पंकज उधास ने कर दिया उदास 
लेखक।

-कमलेश भारतीय
ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह के बाद पंकज उधास ने भी ग़ज़ल प्रेमियों को उदास कर दिया । कल उन्हें भगवान् की ओर से चिट्ठी आई ओर वे चले गये । जिसने भी इस गाने को सुना था, वही चिट्ठी आने को सुनते ही रोने लगता था और इसे सुनकर तो शो मैन राजकपूर भी रोना रोक नहीं पाये थे और उन्होंने अपने मित्र राजेन्द्र कुमार को कहा था कि यह हिट होने जा रहा है और हिट हुआ ! यह पंकज उधास की आवाज़ का जादू था ! बचपन में लता मंगेशकर के गाये ' ऐ मेरे वतन के लोगो‌' गाकर इक्यावन रुपये का इनाम जीतने वाले पंकज उधास ने संगीत की किशोर कुमार की तरह विधिवत शिक्षा नहीं ली थी लेकिन अभ्यास और मेहनत ने उन्हें एक ऐसा गायक बना दिया, जिसे भूल‌ पाना आसान नहीं ।  पद्मश्री भी इनको मिली। मुम्बई में आखिरी सांस ली और संगीत प्रेमियों को उदास कर गये । 
किशोर कुमार या पंकज उधास बनना इतना आसान नहीं, जितना लग रहा है । फिर भी पंकज उधास को अपने साथ लगाये टैग से गिला रहा कि उन्होंने शराब पर तो कम ही गाने गाये लेकिन उन्हें ऐसे गीतों के सिंगर का टैग क्यों दे दिया गया ? यह मुम्बई नगरी ऐसा ही सबके साथ करती आई है और करती रहेगी । यह अपने तौर तरीके बदलती नहीं दिख रही । गीतकार समीर‌ ने बड़े प्यार से पंकज उधास को याद करते बताया कि उनमें ज़रा भी एटिट्युड नहीं था और इसीलिए वे संगीतकारों की पसंद‌ बने रहे । 
मुझे याद है कि पहली बार एक शादी समारोह से देर रात लौटते समय मैंने ' चांदी जैसा रंग है तेरा ' सुना और फिर यह मेरा फेवरेट हो गया । कभी यात्रा पर निकलता हूं तो एक बार तो इसे जरूर सुनता ही हूँ । कितने लोग, कितनी यात्राओं में पंकज उधास को सुनते होंगे और सुनते अब भी रहेंगे लेकिन पंकज हमारे बीच नहीं हैं , यह दुखद अहसास होता रहेगा । 
काश! चिटठी बेरंग लौटा दी होती लेकिन इस चिट्ठी को लौटाया भी तो नहीं जा सकता! 
बहुत याद आओगे पंकज और उदास करते रहोगे !  पर थोड़ी थोड़ी पिया करो भी नशा पूरा देती रहेगी!