संगीत के साथ साहित्य और बागवानी का शौक: डाॅ मुदिता वर्मा
शास्त्रीय संगीत के साथ साथ साहित्य और बागवानी का शौक है । जिस काॅलेज में संगीत सीखा , उसी काॅलेज में सिखाया भी । यह कहना है डाॅ मुदिता वर्मा का , जो संगीत प्राध्यापिका रहीं अनेक काॅलेजों में । आजकल सेवानिवृत्त होकर हिसार के पीएलए में रहती हैं ।
-मूल रूप से कहां से हैं ?
-भिवानी से ।
-शिक्षा कितनी और कहां कहां ?
-भिवानी के आदर्श महिला महाविद्यालय से ग्रेजुएशन । रोहतक के गवर्नमेंट काॅलेज से एम फिल और पीएचडी कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से श्रीखंडे के निर्देशन में की ।
-आपने कौन सा रूप चुना ? गायन या वाद्य ?
-गायन । रोहतक आकाशवाणी केंद्र पर युवा संसार में आकस्मिक उद्घोषणिका व शास्त्रीय संगीत गायन आर्टिस्ट एकसाथ रही ।
-युवा समारोहों में पुरस्कार मिले ?
-जी । न केवल शास्त्रीय गायन बल्कि लोकगीत में भी । इंटर जोनल तक पहुंची ।
-कहां कहां जाॅब ?
-महेंद्रगढ़ के गवर्नमेंट काॅलेज से शुरूआत और उनके बाद रोहतक में भी पढ़ाया जहां खुद संगीत की शिक्षा ली । फिर जींद , हिसार , सिरसा , आदमपुर, , फरीदाबाद और फिर हिसार !
-आपके प्रिय गायक ?
-पंडित जसराज , कौशिकी चक्रवर्ती और वीणा सहस्त्रबुद्धे ।
-परिवार के बारे में कुछ बताइए ।
-पति डाॅ जगबीर वर्मा जो हाल ही में भिवानी में हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं । दो बेटियां हैं -देवांशी जो यूएसए में है इन दिनों । दूसरी कनिका जो नीट कर रही है ।
-और कोई शौक ?
-साहित्य में मन रमता है । बागवानी भी करती हूं । मेरी किताब भी आई है प्राची पब्लिकेशन से ।
-कमलेश भारतीय।