पेट्रोल डीजल के बढ़ते रेटों को लेकर दीवान का केंद्र सरकार पर निशाना
उद्योगों के साथ-साथ आम जनता पर भी डाला जा रहा बहुत
लुधियाना: पंजाब लार्ज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमैन पवन दीवान ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और इसे लेकर लॉकडाउन के बाद उद्योगों को सहायता देने के लिए केंद्र द्वारा घोषित किए गए 20 लाख करोड रुपए के औद्योगिक पैकेज की मंशा पर भी सवाल खड़े किए हैं। जो पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाकर उद्योगों के साथ-साथ आम जनता पर भी बोझ डाल रही है।
यहां जारी बयान में दीवान ने कहा कि बीती 1 जून से जहां डीजल जहां करीब 11.50 रुपए प्रति लीटर महंगा हो चुका है, वहीं पर पेट्रोल की कीमतों में लगभग 9 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। उन्होंने बीते दिनों लॉकडाउन के बाद इंडस्ट्री को 20 लाख करोड रुपए का आर्थिक पैकेज देने का दावा करने वाली केंद्र सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े किए हैं। दीवान ने कहा कि उद्योगों के लिए पैकेज एक लोन बनकर रह गया है और जो कुछ उद्योगों में काम चल भी रहा था, वह डीजल के मूल्य में लगातार हो रही बढ़ोतरी से फीका पड़ने लगा है, क्योंकि डीजल के मूल्य बढ़ने से ट्रांसपोर्ट महंगी हुई है और उद्योगों को चलाने में इस्तेमाल होने वाली अन्य मशीनरी सहित बिजली के उत्पादन में भी डीजल का इस्तेमाल होता है।
उन्होंने कहा कि डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के कार्यकाल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के बावजूद देश में पेट्रोल और डीजल के रेट स्थिर रखे गए थे, लेकिन मौजूदा दौर में जब कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है, तो फिर भी सरकार द्वारा डीजल व पेट्रोल के रेट में लगातार वृद्धि जारी है।
इसी तरह डीजल-पेट्रोल के रेट बढ़ने का सीधा असर आम लोगों पर भी पड़ा है, क्योंकि दोपहिया वाहन आम व्यक्ति की सवारी है और ट्रांसपोर्ट के रेट बढ़ने से फल सब्जियों और अन्य सामान के और रेट भी बढ़ गए हैं। ऐसे में पहले से आर्थिक मंदी का दौर का सामना कर रहे लोगों को केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल के रेट में वृद्धि करके दोहरा नुकसान पहुंचा रही है। इससे एक बार फिर से साबित हो गया है कि यह सरकार जुमलों की सरकार है, जो दावे तो बड़े-बड़े करती है, लेकिन जमीनी हकीकत उनसे विपरीत है।