समाचार विश्लेषण/राजनीति में व्यक्तिगत हमले
-*कमलेश भारतीय
राजनीति में मुद्दों की , सिद्धांतों की बात अब कम होने लगी है और इसकी जगह व्यक्तिगत हमले किये जाने लगे हैं । जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवाह को लेकर व्यक्तिगत टिप्पणियां आम बात है या हरियाणा में किसी नेता की शारीरिक अक्षमता पर भी छींटाकसी करने की आदत है । ऐसे ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की खांसी और मफलर को निशाने पर रखा जाता है ।
इसी प्रकार अब पंजाब में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष व क्रिकेटर नवजोत सिद्धू ने न केवल कैप्टन अमरेंद्र सिंह बल्कि अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल पर व्यक्तिगत हमले किये हैं । जहां कैप्टन अमरेंद्र सिंह को रौंदू तक कहने से संकोच नहीं किया , वहीं सुखबीर बादल का नाम लिये बगैर कहा कि वह गल्लां दा सरताज बादशाह है । असल में जब से कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने नयी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बनाने की घोषणा की है तब से वे कांग्रेस नेताओं के निशाने पर हैं । सिद्धू का कहना है कि भाजपा ने साफ कर दिया है कि हम कैप्टन को हाथ नहीं लगायेंगे और अगर ऐसा किया तो मिट्टी हो जायेंगे क्योंकि कैप्टन चले हुए कारतूस हैं । जैसे जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है वैसे वैसे वह रौंदू होता जाता है । अलग पार्टी बनाने से कुछ नहीं होने वाला । यबां तक कह दिया कि इनकी तो पत्नी तक साथ खड़ी नहीं होती , कोई और कौन साथ आयेगा ?
क्या राजनीति में इस तरह व्यक्तिगत टिप्पणियां करना शोभा देता है ? बिल्कुल नहीं । आप विरोधी के मुद्दों पर , विचारधारा पर बात कीजिए न कि व्यक्तिगत तौर पर मज़ाक उड़ाने की कोशिश करें । इससे राजनीति का स्तर गिरता है और गिरता ही जा रहा है । थोड़ी सा भरम तो रहने दो , मित्रो ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।