फिजियोथेरेपी प्राकृतिक के साथ-साथ वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति भी हैः वीसी प्रो नरसीराम बिश्नोई

विश्व फिजियोथेरेपी दिवस पर गुजवि में मॉडल तथा पोस्टर प्रदर्शनी आयोजित।

फिजियोथेरेपी प्राकृतिक के साथ-साथ वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति भी हैः वीसी प्रो नरसीराम बिश्नोई

हिसार, गिरीश सैनी। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विवि के कुलपति प्रो. नरसीराम बिश्नोई ने कहा है कि फिजियोथैरेपी प्राकृतिक के साथ-साथ वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति भी है। आधुनिक जीवन शैली से होने वाले शारीरिक व मानसिक समस्याओं के समाधान के लिए फिजियोथेरेपी अत्यंत उपयोगी तथा महत्वपूर्ण है। कुलपति शुक्रवार को ’विश्व फिजियोथेरेपी दिवस’ के उपलक्ष्य में फिजियोथेरेपी विभाग के सौजन्य से आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अध्यक्षता संकाय अधिष्ठाता प्रो. सुमित्रा सिंह तथा विभागाध्यक्ष डा. जसप्रीत कौर ने की।

कुलपति नरसीराम बिश्नोई ने कहा कि फिजियोथेरेपी बीमारी की रोकथाम तथा उसके इलाज के लिए हर स्तर पर काम करती है। बीमारी से पहले भी, बीमारी के दौरान और बीमारी के बाद भी इस चिकित्सा पद्धति की विशेष भूमिका रहती है। उन्होंने कहा कि गुजवि का फिजियोथेरेपी विभाग हरियाणा के किसी भी सरकारी विवि में आरंभ किया गया पहला फिजियोथेरेपी विभाग है। ये विभाग किसी भी नागरिक के लिए निःशुल्क ओपीडी सुविधा देता है। कुलपति ने घोषणा की कि इस विभाग के लिए शीघ्र अतिरिक्त इमारत का निर्माण किया जा रहा है।

कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट का चिकित्सा क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। इस वर्ष विश्व फिजियोथेरेपी दिवस का थीम लो बैक पेन था, जो वर्तमान में अत्यंत आम समस्या हो गई है। फिजियोथेरेपी इस समस्या का स्थायी समाधान है। उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में शोध व रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।

प्रो. सुमित्रा सिंह ने कहा कि फिजियोथेरेपी इलनैस और वेलनेस के बीच एक पुल का काम करती है। विभागाध्यक्ष डा. जसप्रीत कौर ने अपने स्वागत संबोधन में फिजियोथेरेपी दिवस तथा फिजियोथेरेपी के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

विभाग द्वारा इस मौके पर एक मॉडल तथा पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसके माध्यम से प्रतिभागियों ने फिजियोथेरेपी के विभिन्न आयामों को रेखांकित किया। विद्यार्थियों ने इस दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गई। डा. शबनम जोशी ने आभार प्रदर्शन किया।