रंग आंगन नाट्योत्सव: डायरी ऑफ ए मैन और भूख तो आग है नाटकों का मंचन
-कमलेश भारतीय
हिसार : आठवें रंग आंगन नाट्योत्सव की पांचवीं शाम पंजाब के अमृतसर से आई रंगटोली 'दस्तक' के नाम रही । इस रंगटोली ने दो नाटक प्रस्तुत किये -मोपांसा की कहानी डायरी ऑफ ए मैन व भूख तो आग है ।
डायरी ऑफ ए मैन तो अंकित लूथरा के एकल अभिनय पर ही टिकी थी और उन्होंने एक जज से लेकर सीरियल किलर , मानसिक रूप से विक्षिप्त जैसे अभिनय को बहुत ही सफलता से निभाया । नाटक में टीवी समाचारों के आधार पर बाबाओं की घिनौनी हरकतों , बच्चियों से यौनाचार और कोहली कांड तरह की घटनाओं के आधार पर जज की सोच को विकृत होते दिखाया गया । जज यानी हम सब । जज यानी हमारे समाज का घिनौना चेहरा । इसमें अंकित लूथरा को सफलता मिली ।
दूसरा नाटक 'भूख तो आग है' रहा जो पंजाबी में था । इसमें भूख पर बच्ची को निबंध लिखने से शुरूआत कर जो बड़े बड़े बिजनेसमैन हैं जिन्हें फुर्सत नहीं दूसरों की भूख पर सोचने की और भूख पर निबंध के लिए बिजनेसमैन पिता भूखे लोगों को ही बुला लेता है । उसे इन्हें देख कर अपने घर की , माता पिता की गरीबी के दिन और उनका संघर्ष याद हो आते हैं ।
बिजनेसमैन सोचता है कि पैसे व अप्रोच से सारे काम हो जाते हैं अंर भूख का निबंध भी किसी से लिखवाया जा सकता है । भ्रूण हत्या की समस्या को भी छुआ गया जब बेटी कहती है कि जब आपका लाल यानी बेटा आ जायेगा तब आप मुझसे प्यार क्यों करोगे ? भूखे कहते हैं कि हम भूखे हैं और यह भूख हमसे कुछ भी करवा सकती है । रोटी हमारा हक है । भीख मांगना कोई आर्ट नहीं । हमारी मजबूरी है । अंततः भूख से लड़ाई के बीच वे बिजनेसमैन के परिवार को ही लूट लेते हैं क्योंकि भूखे लोग कुछ भी कर सकते हैं और किसी हद तक जा सकते हैं क्योंकि उन्हें कोई सम्मान , प्यार और अधिकार नहीं देता ।
नाटक में निर्देशक राजेंद्र और उनकी पत्नी अमिता शर्मा ने पति पत्नी का ही रोल निभाया जबकि पूजा शर्मा ने बेटी का । चरण ने भिखारिन की भूमिका में प्रभावित किया । दोनों नाटक अच्छे रहे । सफल रहे और पहली बार पंजाबी में नाटक इस नाट्योत्सव में मंचित किया गया ।
##गुलशन भुटानी को सम्मान : रंगकर्म के क्षेत्र में अपना योगदान देने वाले रंगकर्मी गुलशन भुटानी को रंग आंगन सम्मान प्रदान किया गया । यह सम्मान डाॅ अनुराग बिश्नोई ने प्रदान किया ।
##आज कठपुतली शो : आज सायं बच्चों के मनोरंजन के लिए कठपुतली शो रखा गया है ।
##ओपन माइक : रंग आंगन नाट्योत्सव में नाटकों के मंचन से पहले ओपन माइक कार्यक्रम भी खूब लोकप्रिय हो रहा है । इसमें प्रो तिलक सेठी , जयभगवान लाडवाल और विजय लक्ष्मी सहित अनेक लोगों ने रचनाएं सुनाईं ।