किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री का अहंकार आ रहा आड़े: योगेंद्र यादव
-कमलेश भारतीय
किसान आंदोलन के बीच सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अहंकार ही आड़े आ रहा है । वैसे तीन कृषि कानून मृत है चुके हैं लेकिन प्रधानमंत्री के अहंकार के चलते डैथ सर्टिफ़िकेट नहीं दिया जा रहा । यह कहना है संयुक्त किसान मोर्चे के नेता योगेंद्र यादव का , जो स्थानीय जाट धर्मशाला में पत्रकारों के सवाल जवाब के बीच थे ।
यादव ने बताया कि कल छब्बीस जून को नाड्ढा साहिब गुरुद्वारे से एकत्रित होकर राज्यपाल भवन तक रोष पत्र देने जायेंगे । रोष पत्र इसलिए कि मांग पत्र देने का कोई फायदा नहीं । यह रोष पत्र राष्ट्रपति के नाम होगा ।
यादव ने बताया कि कल इमर्जेंसी दिवस भी मनाया जायेगा । हर वर्ग को इसे मनाने का आह्वान किया गया है । अब बेशक देश में इमर्जेंसी घोषित नहीं लेकिन इमर्जेंसी जैसी स्थिति है । अघोषित आपातकाल लगा हुआ है । आज की सामान्य स्थिति ही आपातकाल जैसी है । नताशा परिवार को जमानत के बाद भी रिहाई के लिए संघर्ष करना पड़ता है । यह आपातकाल नहीं तो क्या है ?
यादव के अनुसार किसान आंदोलन को सरकार दबाने , टकराने , चमकाने और डराने की कोशिश कर रही है । फर्जी किसान नेता खड़े करके आंदोलन की छवि खराब करने की कोशिश की जाती है । यही नहीं आंदोलन की छवि धूमिल करने की कोशिश भी जारी है ।
किसान आंदोलन से किसानों में स्वाभिमान लौटा है और राजनीतिक समझ बढ़ी है । हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा यह आरोप लगाये जाने पर कि महत्त्वाकांक्षी युवा नेता इसे चले रहे हैं ताकि वे चुनाव लड़ने लायक हो जायें । इसके जवाब में कहा कि यदि चौ देवीलाल की राजनैतिक विरासत संभालनी है तो कुर्सी और आंदोलन में से एक चुन लें और किसानों के साथ आ जायें। नहीं तो चौ देवीलाल के वंशज होने का दावा न करें । यह तो स्वीकार कर लिया कि जनमत इस आंदोलन के साथ है । यह भी स्पष्ट किया का किसी राजनीतिक पार्टी को हमारा समर्थन नहीं।
इस अवसर पर गुरमेल सिंह , वीरेंद्र वागोरिया , हर्षदीप , दीपक लम्बा , वीरेंद्र नरवाल आदि मौजूद थे ।