हास्य, मनोरंजन और सामाजिक संदेश दिया कवियों ने: प्रो टंकेश्वर कुमार 

हास्य, मनोरंजन और सामाजिक संदेश दिया कवियों ने: प्रो टंकेश्वर कुमार 

मेरा आंसू तेरी आंखों में भी पाया जाये 
हिसार : गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय के कुलपति प्रो टंकेश्वर कुमार ने विश्वविद्यालय के युवा कल्याण निदेशालय द्वारा आयोजित काव्य की फुहार कार्यक्रम पर कहा कि इसमें प्रस्तुत कविताओं में न केवल हास्य और मनोरंजन हुआ बल्कि सामाजिक संदेश भी दिये गये । कोरोना काल में ऐसे कार्यक्रम की जितनी तारीफ की जाये कम है । निदेशालय इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन समय समय पर करता रहे । कुलसचिव प्रो अवनीश वर्मा विशिष्ट अतिथि थे वे तकनीकी कारणों से जुड़ नहीं पाये लेकिन उन्होंने भी प्रेरणाप्रद संदेश देते कहा कि कवियों ने हमें भी कवि बना दिया । खुद मेरे मन में भी कविताएं उमड़ने लगीं । उन्होंने भी इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन करते रहने का सुझाव दिया । युवा कल्याण निदेशालय के निदेशक अजीत सिंह ने विशिष्ट अतिथियों व सभी कवियों का स्वागत् करते बताया कि जल्द ही तीज के अवसर पर प्रोग्राम करवाया जायेगा। छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो दीपा मंगला ने भी मंगल-कामनाएं दीं ।  विभाग की ओर से रश्मि ने इस काव्य की फुहार कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया जिसकी कवियों व श्रोताओं ने सराहना की । तकनीकी पक्ष कम्प्यूटर विभाग के छात्र रवि गहलोत ने संभाला ।
हरियाणवी व हिंदी कविता लेखन में सक्रिय व एमडीयू , रोहतक के युवा कल्याण निदेशक डाॅ जगबीर राठी ने दो कविताएं सुनाईं : 
मुट्ठियों में रेत भरते हैं 
चलो कुछ इरादे छोटे करते हैं ,,,
राशन के कागज़ की बना कर कश्ती 
इसमें छोटे छोटे कंकर भरते हैं ,,
हरियाणवी अंदाज की कविता में डाॅ जगबीर राठी ने सुनाई यह कविता :
तीजों का त्यौहार आया 
ठंडी ठंडी फुहार लाया,,,पूरा तीज का दृश्य ही प्रस्तुत कर दिया कविता में ।
भिवानी के वैश्य काॅलेज की अंग्रेजी विभागाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध कवयित्री डाॅ रश्मि बजाज ने स्त्री पक्ष पर कविता प्रस्तुत करते कहा : 
अब कोई ऐसा मजहब चलाया जाये
जिसमें औरत को भी इंसान बनाया जाये ,,,
जिस्म ही सिर्फ नहीं दिल भी एक हों अपने 
मेरा आंसू तेरी आंखों में भी पाया जाये,,,
डाॅ रश्मि बजाज ने कोरोना काल में सार्थक संदेश देते कहा : 
बहुत गा चुके हैं मृत्यु गीत 
आओ जीवन गाएं हम ,,,
हिसार के कवि प्रदीप सिंह जो दिव्यांगता से मानसिक लड़ाई लड़ रहे हैं और कविता में अपनी बात इस प्रकार रखी : 
मेरे विकलांग होने पर भी 
मैं नहीं हो पाता हू 
विकलांग ,,
मैं अंधेरे का दीपक हूं 
और दीपक के तले 
अंधेरा भी,,,
आपकी कविताओं का पाठ डाॅ मनोज छाबड़ा ने किया । अपनी कविता का पाठ करते डाॅ मनोज छाबड़ा ने कहा :
मानसून की पहली बारिश है
और पूरब से आए मजदूर
लौट रहे हैं अपने गांव 
यह उनके घर बह जाने के दिन हैं 
पानी के साथ सपने 
बह जाने के दिन हैं ,,,,
बल्लभगढ़ से प्रसिद्ध इतिहासविद् व व्यंग्य लेखिका डाo सुप्रिया ढांडा ने हास्य व्यंग्य की रचना से वर्तमान व्यवस्था पर चोट करते हुए कहा कि : 
आज हर घर में बन गई है नफ़रत की दीवारें , 
एक भाई को डसती है अपने ही भाई की चालें ।
 राजनीति हो गई है कुर्सी की दासी, सत्यमेव जयते को हो गई कब की फांसी ।
पंचकूला से जुड़ीं रजनी भल्ला की कविता का अंश देखिए : 
हां , मंदिर भी जाती हूं मैं 
तेरा लिखा तू भी न मिटा पायेगा 
और मेरा करम देखें 
मुझे कहां ले जायेगा,,,,
गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय के कम्प्यूटर विभाग की प्रो सरोज की प्रभाशवशाली कविता का पाठ प्रो ज्योति ने किया :
अक्सर खुद से पूछती हूं 
मैं क्या चाहती हूं ,,,
मस्तिष्क में जमे शोर के बीच 
किसी माॅडल की तरह 
धीरे धीरे मचलता हुआ एक शब्द 
मेरे कान में फुसफुसाता है -शोहरत। 
मैं कहती हूं -ऊंह ,,,
यह किस खेत की मूली का नाम है ,,,
गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय के जनसंचार विभाग के डाॅ मिहिर रंजन पात्रा ने कुछ इस तरह अपने भाव रखे : 
बारिश के साथ धूप का आना
मुस्कान के साथ उनका लजाना 
रूठे हुए भी प्यार उंडेलना ,,,
भिवानी से डाॅ हरिकेश पंघाल ने कोरोना के संकट पर सार्थक विचार इस तरह दिये : 
कोरोना नहीं बहाना है यह 
चिंतन , सोच , विमर्श का 
भाग दौड़ की ज़िंदगी में 
खोते जीवन उत्कर्ष का ।
यह ऑनलाइन काव्य की फुहार एक प्रकार से हरियाणा स्तरीय कवि सम्मेलन के रूप में परिवर्तित हो गयी । इससे दूर दराज से अनेक साहित्य प्रेमी जुड़े और उन्होंने भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते रहने का आग्रह किया।