कहानी/पुलिस कार्यवाही/कमलेश भारतीय
पुलिस और समाज की पोल खोलती लघुकथा
छोटा सा कस्बा था हमारा। गांव से थोडा बड़ा। एक ही बडा बाजार था -रेलवे रोड़। उसमें एक कास्मेटिक्स के सामान की दुकान। पहली बार उसके मालिक ने एक खूबसूरत सेल्जगर्ल रखी। नाम था मोनिया। धूम मच गयी। जिसे कुछ जरूरत नहीं भी थी, वह उस दुकान की ओर जाता। सामान का पैकेट लेते मोनिया की कुछ छुअन मिल जाती तो बस निहाल हो जाता। शायद आसपास के गांवों तक वह सेल्जगर्ल मशहूर हो चुकी थी।
एक दिन अचानक उस सेल्जगर्ल के पति की हत्या हो गयी। बस। सारे इलाके में हल्ला मच गया। हम तो बच्चे थे लेकिन सुना कि पुलिस उस दुकान पर आने वाले सभी ग्राहकों के नाम पते वाला रिकाॅर्ड अपने साथ ले गयी। उसके बाद शुरू हुई पुलिस की कार्यवाही। हर ग्राहक को थाने हाजिर किया जाता और ले देकर छोड दिया जाता। इस तरह शोर मच गया। लिस्ट में जिनके नाम नहीं भी थे, वे भी डर गये और डर के मारे कस्बे से दूर दराज रहने वाले रिश्तेदारों या स्थानों पर चले गये और जब तक सेल्जगर्ल के पति की हत्या का मामला ठंडे बस्ते में नहीं चला गया तब तक वापस नहीं आए।
बचपन से पुलिस कार्यवाही की यह छाप छपी हुई है। इसलिए जैसे ही कोई कांड होता है तो बहुत से लोग फरार बताए जाते हैं तो मुझे सब समझ आ जाता है कि पुलिस कार्यवाही कैसी होने वाली है....
न वह सेल्जगर्ल भूली और न ही पुलिस कार्यवाही ....