समाचार विश्लेषण/राजनीतिक पदयात्रायें
जिसके होंठों पे हंसी , पांवों पे छाले
-*कमलेश भारतीय
आजकल इनेलो नेता अभय चौटाला की परिवर्तन पदयात्रा हिसार के आसपास के गांवों में चल रही है । वैसे पदयात्राओं का सिलसिला बहुत पुराना है । महात्मा गांधी से चला आ रहा है । कभी कभी सोचता हूं कि भगवान् राम का चौदह साल का वनवास भी कहीं चौदह साल लम्बी पदयात्रा ही तो नहीं था ! सभी तरह के , सभी समाज के लोगों से वनवास के दौरान मिले -चाहे केवट, भीलनी यानी आदिवासी और वानर तक ! आखिर सारे समाज , हर वर्ग को जोड़कर उन्होंने रावण जैसे बलशाली , पराक्रमी और अहंकारी राजा को ढेर कर दिया ! यही शायद मूलमंत्र है कि हर तबके तक पहुँचकर उनके मन की बात सुनकर , अपने साथ जोड़कर चलने से हर मुश्किल से मुश्किल काम आसान हो जाता है और राम ने तो जो रामराज्य स्थापित किया , उसकी तो बस कल्पना ही की जा सकती है ! सपना ही देखा जा सकता है !
महात्मा गांधी की पदयात्राओं ने भी देश को जोड़ने, देशवासियों को एकजुट करने और बिना किसी मीडिया के अंग्रेजों के खिलाफ जनता को एकजुट कर दिखाया । आज जैसा मीडिया उन्हें नहीं चाहिये था । अब तो मीडिया की पूरी फौज लेकर चलते हैं नेता तब भी जनता के मन की थाह नहीं समझ पाते ! बस अपने ही मन की सुना कर निकल लेते हैं और उसी का धूमधाम से मीडिया गुणगान करते नहीं थकता ! महात्मा गांधी ने जहां कहीं आंदोलन को अहिंसक होते देखा , वहीं आंदोलन वापिस लेने मे देर नहीं लगाई ! चाहे कितनी भी आलोचना क्यों न झेलनी पड़ी ! कभी लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा निकाली अंर उपप्रधानमंत्री पद तक पहुंचे और नये प्रधानमंत्री को अपने शिष्य के तौर पर दिया ।
स्वतंत्र भारत में सर्वोदय नेता या कहिये संत विनोबा भावे ने भी पदयात्रायें की और भूदान आंदोलन सफल बनाया ! कभी हरियाणा में स्वामी अग्निवेश ने भी यात्रा की ।
इधर कई जो पदयात्रायें उनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कंडेला आंदोलन के समय कंडेला से दिल्ली तक की पदयात्रा याद है क्योंकि जींद से रोहतक की सीमा तक मैंने इसे कवर किया था और प्रतिदिन यात्रा देखने जाता था । लोग अपनी बात खुलकर उन्हें बता रहे थे जिसका नतीजा यह हुआ कि मुख्यमंत्री बनने के बाद कंडेला आंदोलन के अनुभव के आधार पर किसानों के हजारों करोड़ रुपये के बिजली बिल माफ कर दिये ! वे बताते हैं कि हांसी के विश्राम गृह में यात्रा के दौरान किसानों ने अपना यह दुख बताया था और सबसे पहली कलम से इससे राहत दिलाने की कोशिश में बिजली बिल माफ किये थे । वैसे इनसे पहले चौ देवालाल की न्याय यात्रा ने भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था सन् 1987 के दिनों के बाद ! इसी तरह कंडेला आंदोलन के समय पदयात्रा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाने में मदद की । यानी जिनके होंठों पे हंसी , पांव पे छाले होंगे, बस वही लोग कुछ पाने के हकदार होंगे ! यह बात सामने आती है ।
फिर राहुल गांधी की मेवात से हरियाणा में प्रवेश करते समय भारत जोड़ो यात्रा भी ऐन सर्दी की सुबह देखने गया था । सोच रहा था गुरुग्राम से मेवात तक पहुंचते पहुंचते कि मुश्किल से इस सर्दी में हजार दो हजार लोग ही छह बजे तक आयेंगे लेकिन बहुत हैरानी हुई जब वहा तो आधी रात से ही हजारों लोग पहले ही पहुंच चुके थे । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट सहित अनेक नेता इसे विदा करने पहुंचे हुए थे और राजस्थानी व हरियाणवी पगडियों से पंडाल खूबसूरत लग रहा था । इसी दौरान राहुल गांधी खिलाड़ियों, किसानों , वैज्ञानिकों और युवाओं से भी मिले और इसी बीच हिमाचल विधानसभा का चुनाव भी जीत गये यानी असर पड़ोसी राज्य में दिखने को मिला और अब कर्नाटक की विजय भी भारत जोड़ो यात्रा का ही फल मानी जा रही है । इस तरह यात्रायें रंग लाती हैं , फिर चाहे इनके बारे में कितनी भी आलोचना करते रहो ।
आजकल इनेलो नेता अभय चौटाला भी यात्रा पर हैं और एक बात तो उन्होंने भी राहुल गांधी की तरह मानी कि विपक्ष उन्हें घमंडी या लोगों से दूर रहने वाला नेता साबित करने पर तुला था और उन्होंने पदयात्रा कर यह भ्रम निकाल दिया । जैसे राहुल गांधी कहते रहे कि मुझे अनाड़ी साबित करने और मेरी छवि धूमिल करने में करोड़ों रुपये खर्च किये गये जिसे मैंने अपनी भारत जोड़ो यात्रा से ध्वस्त कर दिया । अब लोग मुझे समझ रहे हैं , जान रहे हैं ! राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान मोहब्बत की दुकान खोली जो लगता है चल निकली है ! अब अभय चौटाला भी अपनी छवि सुधारने निकले हैं , देखते हैं कि जनता कितना और कैसा अवसर देती है ! भारत जोड़ो यात्रा और परिवर्तन यात्रा से इतना तो दिख रहा है कि हरियाणा में कुछ न कुछ आश्चर्यनक परिणाम तो आ सकते हैं ! इतना तो तय है कि
जिनके होंठों पे हंसी , पांव पे छाले होंगे
बस वही लोग तुझे चाहने वाले होंगे !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।