समाचार विश्लेषण/राजनीति और हास्य के रंग
-*कमलेश भारतीय
होली आ रही है और होली के रंग भी चर्चा में हैं । पांच राज्यों के चुनाव परिमाणों ने कुछ दिन पहले से ही होली शुरू करवा दी । राजनीति और हास्य ही नहीं बल्कि साहित्य का खूब चलन और प्रचलन रहा है और रहेगा । कभी मीठी मीठी सलाह तो कभी चुटकी राजनीतिक माहौल को भी सरस बना देती है । अब तो वैसे भी काॅमेडियन सीधे सीधे राजनीति में ही आ गये हैं । राजनीअंइ और काॅमेडी में कोई विभाजन रेखा रही नहीं । फ्रांस में कुछ वर्ष पहले एक काॅमेडियन को राष्ट्रपति पद तक पहुंचा दिया था जनता ने । अभी कुछ सालों के भीतर देखिए कि राजू श्रीवास्तव को सपा या भाजपा में लाने की कितनी होड़ मची थी । राजनीतिक दल टिकट लेकर इनके दुआर पर खड़े थे । पर वे चुनाव की राजनीति में नहीं आए । हरियाणा में भी हास्य की चुटकियां ली जाती रही हैं । जब चौ भजन लाल ने शहर शहर चाय पीकर समर्थकों से मिलने का अभियान चलाया तब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चुटकी ली कि इस उम्र में इतनी चाय अच्छी नहीं । यह अंदाज चलता रहता है हरियाणा में । चौ बीरेन्द्र सिंह की चर्चा छिड़ी है आप में जाने की और लोग कह रहे हैं कि कोई पार्टी नहीं छोड़ेंगे, सबके सुआद लेंगे ? अब बेटे के लिए तो थम जाओ । तबादलों का अर्द्ध शतक लगा कर चर्चित आईएएस अशोक खेमका भी सुना है आप की तरफ कदम बढ़ाने वाले हैं ।
इधर कपिल शर्मा शो व बिग बाॅस से लोकप्रिय काॅमेडियन नवजोत सिंह सिद्धू ने भी राजनीति में भाजपा की ओर से कदम रखा । सांसद चुने गये अमृतसर से । लोगों ने सिर आंखों पर बिठाया । फिर भाजपा छोड़कर आप में जाते जाते ऐन आखिरी वक्त पर कांग्रेस में शामिल हुए । जीते , मंत्री बने और विवादास्पद भी होते चले गये । आखिर मंत्रीपद छोड़कर क्रान्तिकारी हो गये । कैप्टन के पीछे ऐसे लगे कि कांग्रेस से छुट्टी करवा कर ही माने । विधायक भी साथ थे लेकिन मुख्यमंत्री बनने का सपना अधूरा रह गया । कांग्रेस के पंजाब प्रदेशाध्यक्ष बन कर ही संतोष करना पड़ा। फिर चुनाव आए और बार बार राहुल गांधी को बताते /चेताते रहे कि कहीं प्रदर्शनी घोड़ा ही न बना देना लेकिन राहुल ने चेतावनी अनसुनी कर चरणजीत सिंह चन्नी को ही मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया और नवजोत के सपने ही नहीं दिल भी टूट गया और फिर बेदिली से चुनाव लड़ और हार गये । एक काॅमेडिरन की राजनीति का ऐसा अंत । बहुत दुखद । ऊपर से बड़बोलेपन ने मार दिया । अब भी कुछ का कुछ कहे जा रहे हैं ।
इधर खुशी की बात है कि अरविंद केजरीवाल ने जिसे मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया वही भगवंत मान पंजाब की कुर्सी संभालने जा रहे हैं । एक काॅमेडियन । कभी ऑडियो कैसेट लोकप्रिय हुईं तो कभी दूरदर्शन जालंधर के प्रोग्राम तो कभी काॅमेडी शोज और कभी स्टेज प्रोग्राम से होते हुए आखिर राजनीति में कदम रखा । आप और अरविंद केजरीवाल पर विश्वास जताया और संगरूर से दो बार सांसद बने । पिछली बार मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं किया जिससे दोनों को नुकसान हुआ । इस बार समझदारी से घोषणा की और नतीजा सामने । भगवंत मान बन गये पंजाब के मान । अब जनता के भरोसे पर कितना खरा उतरेंगे यह देखना बाकी है । शुरूआत करेंगे शहीद भगत सिंह के गांव में शपथ लेकर और अंत भला हो इसकी दुआएं ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।