राजनीति, विचारधारा और घर वापसी

राजनीति, विचारधारा और घर वापसी

-*कमलेश भारतीय
यह राजनीति और राजनेता भी कमाल हैं -गिरगिट से भी ज्यादा रंग बदलने में माहिर हैं ! गिरगिट भी इनके आगे मुंह छिपाता फिरता है ! राजनीति में चुनाव के दिनों बड़ा बदलाव और उबाल आता है । मानो इन्हीं दिनों का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हों, हमारे प्रिय नेता और वह समय आ गया है ! अच्छे दिन आ गये हैं जब खुलकर दिल की बातें कही जा सकती हैं और कही भी जा रही हैं । जब बताया जा सकता है कि फलां पार्टी में दम क्यों घुट रहा था ! 
वैसे तो राजनीति और विचारधारा का अब कोई खास संबंध नहीं रह गया लेकिन हरियाणा के दिग्गज नेता चौ बीरेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामते कहा कि यह विचारधारा की वापसी है और जब दस साल पहले कांग्रेस छोड़ी थी, तब कौन सी लड़ाई और कौन सी विचारधारा थी ? वे कहते हैं कि मैंने किसानों के हित में कुछ बात कही थी, जिसकी सुनवाई नहीं हुई और चौ छोटूराम के नाती ने विचारधारा की वापसी करना ही सही समझा । इस तरह घर लौट आये । जब कांग्रेस छोड़कर गये थे तब कह रहे थे कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अहंकारी हैं और जब कांग्रेस ज्वाइन कर रहे थे, तब कहा कि भूपेंद्र मेरी बुआ का छोरा है ! खैर, अब देखने  वाली बात यह है कि आखिरकार हिसार लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में कौन आयेगा? बेटा बृजेंद्र या पिता बीरेंद्र? एक बात है कि जब से लोकसभा चुनाव घोषित हुए हैं, पहली बार हरियाणा के कांग्रेस नेता एक मंच पर एकसाथ दिखाई दिये हैं! एसआरके वाले नेता हों या फिर हुड्डा वाले नेता हों, सभी एक साथ दिखाई दिये। हाय! कहीं नज़र ही न लग जाये इन चांद‌‌ से मुखड़ों को ! 
अभी खबरें हैं और फोटो वायरल हो रहा है कि उत्तराखंड के दिग्गज कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस के घर में रहते काफी परेशान हैं और जल्द ही भाजपा के कमल को थाम सकते हैं।  उनका दम अब कांग्रेस में घुट रहा है । यह भी खूब रही कि इनकी सरकार गिराने में भाजपा ने कोई कसर न छोड़ी थी और उत्तराखंड हाईकोर्ट से ही सरकार बहाल हुई थी, अब वही भाजपा मन को अच्छी लगने लगी ? अब किस विचारधारा की बात करेंगे और कहेंगे ? 
इधर घर वापसी पर ही हरियाणा में दो भाइयों में घमासान मचा हुआ है । इनेलो से दस साल पहले अलग होकर बनाई जननायक जनता पार्टी के सर्वेसर्वा डाॅ अजय चौटाला कह रहे हैं कि अगर ओमप्रकाश चौटाला पहल करेंगे तो वे एक हो सकते हैं ! दस साल  पहले ही तो कहा था कि यह लो, अपना डंडा और झंडा ! हमें नहीं चाहिए कुछ भी और नयी पार्टी जजपा आ गयी थी हरियाणा में ! अब इसके जवाब में भाई व इनेलो नेता अभय चौटाला कह रहे हैं कि जब जजपा में नेताओं के पार्टी छोड़ने से भगदड़ मची तब इनेलो की याद आई ! पहले अनुशासनहीनता क्यों की थी और किसके इशारे पर ? बड़े चौटाला यानी ओमप्रकाश चौटाला बीमार रहे, अस्पताल रहे, तब कहां रहे? अभय चौटाला कह रहे हैं कि ये सामाजिक और राजनीतिक रूप से खत्म हो गये हैं। इनको इनेलो की याद कैसे आई ? 
इस तरह चुनाव में कुछ भूला और कुछ याद आता रहेगा ! यह जो चुनाव हैं, यह कुछ भी दिखा सकते हैं, भाई ! 
दुष्यंत कुमार के शब्दों में :
केसे कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं 
गाते गाते लोग चिल्लाने लगे हैं ! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।