कोरोना से बड़ा वायरस लोकतंत्र की खरीद की राजनीति?
पत्रकार कमलेश भारतीय की वर्तमान हालातों पर टिप्पणी
कोरोना से भी बड़ा वायरस पहले से ही मौजूद है और वह है राजनीति में विधायकों की खरीद फरोख्त। जिसका सबसे ताज़ा शिकार हुई मध्य प्रदेश की कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार। इसे अपने ही सिपहसालार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी ही पार्टी के विधायक तोड़ कर भाजपा को सौंपे और सरकार गिरा दी। सिर्फ एक राज्यसभा और मंत्री पद के लिए। अब कमलनाथ को इंतजार है कोरोना की समाप्ति और उपचुनावों का जो बाइस सीटों के लिए होंगे। वही बाइस सीट जो कांग्रेस ने ही जीती थीं लेकिन ये विधायक भाजपा में चले गये। अब उपचुनाव तो कोरोना के बाद ही होंगे। लेकिन वीडियो काॅलिंग से कमलनाथ अपने कार्यकर्त्ताओं का मनोबल बढ़ाते कह रहे हैं कि उपचुनावों के बाद कांग्रेस सरकार वापसी करेगी। वे मानते हैं कि कांग्रेस विधायकों ने धोखा दिया लेकिन यह विश्वास भी है कि जनता धोखा नहीं देगी। जनता खरीद फरोख्त की राजनीति और विधायकों को धूल चटायेगी। दुख भी व्यक्त किया कि विधायकों ने ऐसा किया। वे कहते हैं कि राजनीति का अनुभव तो था लेकिन सौदेबाजी की राजनीति का अनुभव नहीं था। यह तो मासूम झूठ बोला कमलनाथ जी। इतने अनुभवी हो और इस राजनीति से अनजान नहीं। कोशिश तो कम नहीं की। होटल्स और बड़े बड़े प्रलोभन देने में लेकिन बात नहीं बनी। इतने अनुभवी राजनेता अपने सिपहसालार के दिल की बात नहीं समझ पाए और बराबर उपेक्षा करते रहे। दिग्विजय सिंह के साथ जोडी जमा ली। महाराज को नाराज कर लिया। अब उपचुनावों का इंतज़ार तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी है। वे भी जोड़तोड़ से अनचाहे मुख्यमंत्री बने। उप चुनाव हो नहीं सकते तो दूसरे रास्ते आएंगे। जिसकी मंजूरी राज्यपाल ने दे दी है।
सबसे अंत में देश की सेनाओं ने कोरोना योद्धाओं पर फूल बरसाये हैं। बहारों फूल बरसाओ,,,ताली थाली और मोमबत्ती जलाने के बाद यह कितना रंग लायेंगे? पांच शहीदों के घर मातम भी पसरा लेकिन वीरांगन पत्नी आंसू न बहा कर शहादत पर गर्व कर रही है तो बेटी सेना में जाने की बात कर रही है। सैल्यूट इस जज्बे को।