पोर्श कार कांड: यह हमारा लाइफ स्टाइल?
-*कमलेश भारतीय
पुणे का पोर्श कार कांड फिरयह सोचने पर विवश कर रहा हैं कि क्या यह हमारा लाइफ स्टाइल है या नहीं? पुणे में एक नाबालिग बेटे को बड़ा बिल्डर बाप अढ़ाई करोड़ रुपये की कार चलाने देता है और साथ के साथ शराब पार्टी के लिए अपना क्रेडिट कार्ड भी थमा देता है कि ले बेटा पी और पिला जितनी शराब पिलाना चाहता है। डेढ़ घंटे में बेटा 48000 रुपये उड़ा देता है पब में। यहीं बस नहीं, पोर्श कार से दो इंजीनियर्स की जान भी ले लेता है। यह वैसा ही है जैसे बंदर के हाथ में उस्तरा थमा देना। फिर उसका यह अंजाम भी सामने आया कि बिल्डर बाप को 24 मई तक हिरासत में रखने के आदेश दे दिये गये हैं। पुलिस का कहना हैं कि पिता विशाल अग्रवाल को पता था कि बेटा नाबालिग है, फिर भी उसे अढ़ाई करोड़ की महंगी पोर्श कार ही नहीं क्रेडिट कार्ड भी थमा दिया। हालांकि ड्राइवर का कहना हैं कि उसने तो मना किया था कार देने से लेकिन पिता विशाल के कहने पर गाड़ी देनी पड़ी। अब किशोर को पांच जून तक सुधार गृह में भेज दिया गया है।गरीब ड्राइवर की सुनता कौन है?
सबसे पहले आपको याद आयेगा जेसिका लाल कांड, जो हरियाणा के वरिष्ठ नेता विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा से जुड़ा है और खूब सुर्खियों में रहा। बेटे मनु द्वारा एक रेस्तरां में देर गये रात को जेसिका द्वारा समय की दुहाई दिये जाने पर शराब न परोसना ही जान की आफत बन गया जब गुस्से में गोली चला दी और पिता की राजनीति पर विराम लगा दिया।विनोद शर्मा मुश्किल से वापसी कर पाये और भाई कार्तिकेय शर्मा राज्यसभा में पहुंचे। मनु को तिहाड़ जेल में बरसों रहना पड़ा। इसी तरह का यमुनानगर का कांड याद आ रहा है, जब एक बड़े बाप के बिगड़ैल बेटे ने पापा की रिवाल्वर से गुस्से में अपने स्कूल की प्रिसिंपल को उसके ऑफिस में ही मार दिया था। रोहतक में एक बेटे ने अपने ही परिवार के लोगों को मार दिया था क्योंकि उसके खर्च उठाने से सबने इंकार कर दिया था।
यह लाइफ स्टाइल किसने दिया बच्चों को और यह मानसिकता कैसे बनी कि जो मैं चाहता हूँ, वह मुझे हर हाल में मिलना ही चाहिए, नहीं तो जो भी मेरे आड़े आयेगा, उसका अंत निश्चित है। ज्यादा लाड प्यार और कोई भी अभाव न होने से बच्चे बिगड़ैल बनते जा रहे हैं और मनमर्जी के मालिक भी, जिससे कभी जेसिका लाल तो कभी पोर्श कार कांड सामने आते हैं। यह हमारे नये समाज का चेहरा है। कभी शाहरुख़ जैसे स्टार का बेटा भी नशे के चक्कर में चर्चा में आ जाता है। यह हमारे यानी अभिभावकों के पालन पोषण का ही परिणाम है, जो ऐसे कांड सामने आ रहे हैं। इसे नये सिरे से सोचना होगा। रिश्तों का महत्त्व समझाना होगा। रिश्तों की डोर से बांधना होगा।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।