समाचार विश्लेषण/किस किस नेता के गायब होने के पोस्टर?
-कमलेश भारतीय
बहुत छोटा था । पत्रकारिता की कोई समझ भी न थी । पर अखबार में पहली बार पढ़ा कि हिमाचल के सांसद के डी सुल्तानपुरी के गायब होने के पोस्टर लगे । बड़ी हैरानी हुई । ऐसे पोस्टर कैसे और क्यों ? शायद विरोधियों की नयी चाल रही होगी । ऐसे ही हमारे फिल्लौर की सांसद संतोष चौधरी को मैंने कभी नहीं देखा । वे आतीं, फाॅर्म भरतीं और मजे में जीत जातीं । तब कांग्रेस का ऐसा ही ठाठ था । बस टिकट ले आओ और जीत कर मुंह न दिखाओ तो भी चलेगा और चलता रहा ।
आज फिर खबर पढ़ी कि अमृतसर पूर्वी क्षेत्र से विधायक व प्रसिद्ध क्रिकेटर नवजोत सिद्धू के लापता होने के पोस्टर लगे हैं । अब तो पत्रकारिता कर रहा हूं और कुछ कुछ समझ आता है कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह के गुट ने यह खेल खेला है । पंजाब में आजकल दोनों में कांग्रेस के अंदर ही अंदर दोस्ताना मैच चल रहा है । दोनों का टेस्ट दिल्ली हाई कमान ले रही है । अपने अपने दर्शक, समर्थक और लाल लश्कर के साथ दोनो दिल्ली हाई कमान के सामने पेश हो चुके हैं । अब बस विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू होने वाली हैं । नवजोत सिद्धू पर आरोप कि विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय नहीं हैं ।हां , पार्टी की सिर फुटोबल में खूब सक्रिय हैं । क्रिकेटर ठहरे । कुछ तूफानी तो करेंगे ही न ।
वैसे नेताओं के लापता होने के पोस्टर लगते रहते हैं । समय-समय पर चेहरा बदल जाता है । अभी कुछ लोग गृहमंत्री अमित शाह को ढूंढते फिर रहे थे । खासतौर से पश्चिमी बंगाल के चुनाव परिणाम के बाद से पर वे उसी अंदाज मे दनदनाते दो सौ पार करते दिखाई न दिये कहीं ।
कभी अमेठी में भी राहुल गांधी को ढूंढा गया लेकिन वे मिले केरल के वायनाड में जाकर । स्मृति ईरानी ने इसी खोज खोज में अमेठी जीत ली । है न मज़ेदार छुप्पन छुपाई ? एक समय धर्मेंद्र बीकानेर से सांसद चुने गये लेकिन फिर किसी ने भी उन्हें अपने क्षेत्र में नहीं देखा । आखिर धर्मेंद्र ने इस्तीफा देकर अपना पीछा छुड़ाने में ही समझदारी समझी । अब इनके अढ़ाई किलो हाथ वाले बेटे सन्नी भी पंजाब के गुरदासपुर से भाजपा के सांसद हैं और इनकी भी सूरत किसी ने नहीं देखी फिर कभी । अब इनके पोस्टर आने ही वाले हैं । वैसे तो मथुरा में हेमामालिनी भी चुनाव के दौरान गेंहूं के खेतों में पोज़ देती दिखाई दी थीं । उसके बाद मुम्बई में ही शोभायमान हैं । वैसे तो हमारे प्रधानमंत्री जी को भी गंगा मैया ने बुलाया था वाराणसी लेकिन फिर वे भी मां के पास कम ही गये । गंगा आरती के समय रोज़ इनकी राह देखती है जैसे कर्ण अर्जुन में राखी अपने बेटों की राह ताकती थी ।
हर चुनाव क्षेत्र में वही नेता लगातार विजयी होते हैं जो बाद में लगातार जनता से सम्पर्क बनाये रखते हैं ।उनके बीच जाते हैं और उनकी समस्याओं को सुन कर कुछ हल निकालने की कोशिश करते हैं । मुझे अपने नवांशहर के विधायक दिलबाग सिंह सैनी की कार्य शैली याद आती है जो हर शनिवार चंडीगढ़ से दोपहर बाद तीन बजे सिनेमा सतलुज के मैनेजर के कमरे में बैठ कर अपना दरबार लगाते । हर कोई उनको मिल सकता था । तब लैंड लाइन फोन का जमाना था । पी ए मक्खन फोन के पास बैठा रहता । इधर समस्या आती और उधर संबंधित अधिकारी को पी ए फोन मिला देता । समस्या चुटकियों में हल । जैसे हथेली पर सरसों खिला दी हो । हर रविवार गांवों के कुछ आयोजनों में जाकर पुरस्कार बांटना और राशि भी देना विकास के लिए । और लगे हाथों समस्याएं भी सुन लेना। ऐसे नेता को कोई तीस साल तक हरा न पाया सिर्फ आपातकाल के बाद एक चुनाव को छोड़ कर । यही चौ भजनलाल का करिश्मा देखा मंडी आदमपुर में हरियाणा आने के बाद । सुबह अपने लाॅन में सैर के बाद अखबार पढने के बाद बैठ जाते दरबार लगा कर। । वही तकनीक । पी ए संजय फोन लगा और काम हल । दोपहर बाद तीन बजे से मंडी आदमपुर के गांवों के दौरे पर निकल जाते और किसी के दुख तो किसी के सुख में शामिल होते । यही जादू उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक ले गया । बस । इतना सा ही जादू देखा रोहतक में भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व दीपेंद्र सिंह हुड्डा के आवास पर जब कोई गांव से आया साधारण आदमी भी अपना काम बड़े हक से करवाने आता है । इन सब नेताओं के यहां जलपान का अटूट लंगर भी चलते देखा । बस । इतना ही जादू है नहीं तो गायब होने के पोस्टर लगते क्या देर लगती है ,,,,यह जादू नेता भूल जाते हैं चुनाव जीतने के बाद और जनता भी अगले चुनाव में सारा हिसाब किताब करने में देर नहीं लगाती ।