प्रार्थना में शक्ति है, मन से की जाए तो फर्क पड़ता है
प्रार्थना का आधार है विश्वास और समर्पण। यदि ईश्वर को हम अपना मित्र और अभिन्न पार्टनर मान कर चलें तो जीवन की अधिकांश समस्याएं खुद ब खुद छोटी होती जाती हैं।
फेसबुक के मैसेंजर पर एक कॉल आई, तो मेरा ध्यान नहीं गया, क्योंकि मैं मैसेंजर प्रयोग नहीं करता हूं। फिर व्हाट्सएप पर संदेश देखा, डॉ. सतीश शिखा शहर में थे और मिलना चाहते थे। उन्होंने लिखा कि वह कोविड को परास्त कर चुके नए नरविजय को देखना चाहते हैं। मालूम हुआ कि जब मैं आईसीयू में मृत्यु से संघर्ष कर रहा था, तब उन्होंने और उनके फाउंडेशन के सैकड़ों बच्चों ने मेरी सलामती और अच्छे स्वास्थ्य के लिए बार-बार प्रार्थना की थी। इन दिनों वह अपने 90 मिलियन स्माइल्स फाउंडेशन के लिए देश-विदेश में घूम कर महिलाओं को प्रार्थना के विशेष कॉपर कॉइन्स वितरित कर रहे हैं। वह कहते हैं कि विश्व में सर्वाधिक पॉजिटिव इनर्जी बच्चों और महिलाओं में होती है। यदि कॉपर कॉइन को प्रतिदिन 9 मिनट के लिए मुट्ठी में रखकर सकारात्मक विचार मन में लाए जाएं और सभी की बेहतरी के लिए प्रार्थना की जाए तो इस सामूहिक सकारात्मक ऊर्जा से धरती पर चमत्कार हो सकता है। हैदराबाद में वह गरीब बच्चों के लिए 24 घंटे भोजन, शिक्षा और चिकित्सा का प्रबंध करते हैं। विदा लेने से पहले हमने एक दूसरे को देर तक गले लगाया। अनूठा अनुभव था यह।
आज मैं यह कॉलम लिख पा रहा हूं तो इसका श्रेय उन तमाम जाने-अनजाने लोगों की दुआओं को भी जाता है। चिकित्सक भी बार-बार कह रहे थे कि आपको हमने नहीं, ईश्वर ने और दुआओं ने बचाया है। कहते हैं प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है। स्वस्थ होने के लिए दवा जरूरी है, लेकिन प्रार्थना अपना काम करती है, बशर्ते सही तरीके से की जाए। इसके लिए धार्मिक होना जरूरी नहीं और न ही पूजा करने के लिए किसी मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारे जाने की जरूरत है। हमारे जीवन में और आसपास सब कुछ ऊर्जा ही तो है। भोजन, पानी, हवा और हम खुद ऊर्जा के बंडल हैं। शुद्ध मन और साफ इरादे से की गई प्रार्थना अच्छी ऊर्जा उत्पन्न करने में सहायता करती है। प्रार्थना, विश्वास और सकारात्मक विचारों से हमारी इम्युनिटी मजबूत होती है, जबकि नकारात्मक वातावरण और विचार किसी को बीमार तक बना सकते है। आईसीयू से जीवित बाहर आने के बाद आध्यात्मिकता में वृद्धि हो जाती है। तब समझ आता है कि कोई तो परम शक्ति है जो इस जगत को चलाती है। यह दैनिक कॉलम उसी परम शक्ति को समर्पित है।
प्रार्थना का आधार है विश्वास और समर्पण। यदि ईश्वर को हम अपना मित्र और अभिन्न पार्टनर मान कर चलें तो जीवन की अधिकांश समस्याएं खुद ब खुद छोटी होती जाती हैं। आपको लगने लगेगा कि आपके ऊपर किसी परम शक्ति का साया है, जो हरदम आपका ख्याल रखता है और आपका मार्गदर्शन करता है। बहुत से लोग हर दिन प्रार्थना करते हैं, मंदिर जाते हैं, लेकिन प्रार्थना करते समय दिमाग किसी चिंता या उलझन में डूबा रहता है, तो यह गलत है। पूरे विश्वास और समर्पण के साथ प्रार्थना करें और परिणाम को ईश्वर पर छोड़ दें, फिर देखिए कितना अच्छा लगता है। प्रार्थना का अर्थ है परम शक्ति में भरोसा जताना और उससे संवाद करना। इसके विपरीत, मेडिटेशन का अर्थ है स्वयं से संवाद करना, खुद को अच्छे से समझना। सबसे सरल प्रार्थना यह हो सकती है कि जो भी आपके पास है उसके लिए कृतज्ञ रहें और धन्यवाद दें।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)