रचनात्मकता का संरक्षण ही समाज, देश और दुनिया के विकास की कुंजी हैः कुलपति प्रो. राजबीर सिंह
विश्व बौद्धिक संपदा दिवस पर एमडीयू में राष्ट्रीय सेमिनार।

रोहतक, गिरीश सैनी। रचनात्मकता केवल कल्पना नहीं है, वह भविष्य का निर्माण करती है। इस रचनात्मकता का संरक्षण ही समाज, देश और दुनिया के विकास की कुंजी है। यह उद्गार एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के उपलक्ष्य में सेंटर फॉर आईपीआर स्टडीज द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए।
बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति जागरूकता, संवाद और नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हरियाणा राज्य विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा प्रायोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने विश्व बौद्धिक संपदा दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला।
विशिष्ट अतिथि डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ए.एस. मान ने आधुनिक शिक्षा में बौद्धिक संपदा के महत्व पर जोर दिया। डीन, इंटर डिसिप्लिनरी स्टडीज प्रो. गुलशन लाल तनेजा ने रचनात्मक कार्यों की सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए संगीत के कॉपीराइट की प्रक्रिया की व्यावहारिक जानकारी साझा की।
पेटेंट सुविधा केंद्र (पीएफसी), टीआईएफएसी, विश्वकर्मा भवन, नई दिल्ली की अध्यक्षा एवं वैज्ञानिक एफ संगीता नागर, सीएसआईआर-टीकेडीएल इकाई, नई दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक अनि कुमार, बीपीएसएमवी के सेंटर फॉर आईपीआर स्टडीज के इंचार्ज डा. प्रमोद मलिक ने बतौर विशेषज्ञ वक्ता इस सेमिनार में शिरकत की और विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार के विभिन्न पहलुओं बारे व्यावहारिक जानकारी साझा की।
प्रारंभ में सेमिनार के संयोजक प्रो. संतोष तिवारी ने स्वागत भाषण दिया। सह-संयोजक डॉ. राजीव कुमार कपूर ने सेमिनार आयोजन के उद्देश्यों और लक्ष्यों पर प्रकाश डाला। डीन आर एंड डी और आईपीआर अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. हरीश दुरेजा ने समापन भाषण देते हुए विभिन्न विषयों में बौद्धिक संपदा के बढ़ते महत्व पर जोर दिया गया। आयोजन सचिव डॉ. दीपक छाबड़ा ने आभार जताया। इस दौरान आयोजित पोस्टर प्रेजेंटेशन सत्र में विद्यार्थियों और विद्वानों ने विभिन्न विषयों में अपने शोध और विचारों का प्रदर्शन किया।