शोध में पशुओं का प्रयोग करने के दौरान मेडिकल तथा रिसर्च एथिक्स की महत्ता बताई प्रो. आरती ने
रोहतक, गिरीश सैनी। एमडीयू के फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज, फैकल्टी ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी स्टडीज तथा चौ. रणबीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज के संयुक्त तत्वावधान में स्वराज सदन में- रिसर्च मैथोडोलॉजी विषयक सात दिवसीय कार्यशाला के चौथे दिन वीरवार को विशेषज्ञ वक्ताओं ने शोध के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए पीसीआर रिलिवेंस इन प्रेजेंट साइंस, मेडिकल एंड एथिक्स रिसर्च तथा ब्लड डिसआर्डर डिटेक्शन में टेक्नोलॉजी की भूमिका पर व्याख्यान दिए।
प्रथम सत्र में एमडीयू के डा. के.के. शर्मा ने- पीसीआर: रेलेवंस इन प्रेजेंट साइंस विषय पर विशेष व्याख्यान देते हुए बताया कि पीसीआर एक एडवांस्ड लैबोरेट्री टेक्नीक्स है जो डीएनए की स्टडी तथा मार्डन बायोलॉजिकल रिसर्च का अहम टूल है। दूसरे सत्र में एमडीयू के प्रो. एस.सी. मलिक ने शोध के विभिन्न पहलुओं से शोधार्थियों को रूबरू करवाया। डा. अनिता तथा डा. पूजा गुलाटी ने इन दोनों सत्रों की अध्यक्षता की।
तदुपरांत पीजीआईएमएस की प्रो. आरती ने- सबमिशन ऑफ प्रोटोकॉल्स फॉर एथिक्स विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने शोध में पशुओं का प्रयोग करने के दौरान मेडिकल तथा रिसर्च एथिक्स की महत्ता पर प्रकाश डाला। चौथे सत्र में पीजीआईएमएस के प्रो. सुधीर कुमार अत्री ने- रोल ऑफ टेक्नोलॉजी इन डिटेक्शन ऑफ ब्लड डिसऑर्डर विषय पर प्रभावशाली व्याख्यान दिया। प्रो. अंजु धीमान व डा. मीनू ने इस सत्र की अध्यक्षता की। इस दौरान चौ. रणबीर सिंह इंस्टीट्यूट की निदेशिका प्रो. सोनिया मलिक, कार्यशाला कोऑर्डिनेटर प्रो. विनीता शुक्ला व डा. नीलकमल समेत फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज के शिक्षक तथा प्रतिभागी शोधार्थी मौजूद रहे।