आह ! प्रो वीरेंद्र मेहंदीरत्ता नहीं रहे । नब्बे साल की आयु में हमसे विदा हो गये
आह ! प्रो वीरेंद्र मेहंदीरत्ता नहीं रहे । नब्बे साल की आयु में हमसे विदा हो गये ।
सन् 1975 से ऐसा जुड़ा इनके साथ कि आखिरी समय तक यह लगाव बना ही रहा । अभी एक सप्ताह पहले फोन पर हालचाल पूछा था और बेटी अपराजिता ने खुशी खुशी बात करवाई थी । मैंने कहा था कि अबकि चंडीगढ़ आया तो दर्शन करने आऊंगा । पर वे इंतज़ार न कर सके । मेरे जीवन के पहले पुरस्कार के निर्णायकों में से एक निर्णायक ! महक से ऊपर को मिला था भाषा विभाग पुरस्कार । मैं कहता था प्रो वीरेंद्र मेहंदीरत्ता जी से कि मैं आपका आजीवन शिष्य हूं और रहा भी , रहूंगा भी !
अभी तो बहुत कुछ सीखना बाकी था । आप दास्तान बन गये । हमसे दूर चले गये !
विदा ! प्रो वीरेंद्र मेहंदीरत्ता जी !
-कमलेश भारतीय