पंजाब की तमाम राजनीतिक पार्टियों के सम्मेलन का पंजाब व्यापार मंडल ने किया स्वागत
कहा, सभी राजनीतिक पार्टियों को राजनीति छोड़ कर लेना होगा पंजाब के हित में ठोस क़दम।
लुधियाना, 31 अक्टूबर, 2023: पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल ने सभी राजनीतिक दलों का एक मंच पर इकट्ठे होने के कदम की सराहना की है, साथ ही चिंता भी व्यक्त की है कि कहीं यह मौखिक चर्चा बन कर न रह जाए ।
मंडल की और से स्टेट जनरल सेक्रेटरी और नेशनल व्यापारी कल्याण बोर्ड के मेंबर सुनील मेहरा और महासचिव आयुष अग्रवाल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आज पंजाब के व्यापार और उद्योग को बचाने के लिए सरकार से रचनात्मक उपायों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पंजाब में व्यापार और उद्योग की बिगड़ती हालत को यदि अभी न रोका गया तो पंजाब कई दशक पीछे चला जाएगा।
उन्होंने कहा कि आज बेरोजगारी ने पंजाब को जकड़ रखा है। पंजाब में बेरोजगारी दर 8.5% है और वही देश भर की बेरोजगारी दर 7% है। पंजाब के नौजवान नशे में उलझ कर अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रहे हैं, जो बाक़ी बचे हैं वे राज्य छोड़ कर नौकरी की तलाश में कनाडा , लंदन और अन्य राज्यों की और रुख़ कर रहे हैं। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ पिछले 6 वर्षों में 6 लाख से अधिक युवा पंजाब छोड़ कर जा चुके हैं और हर साल 1.5 लाख युवा बाहर जा रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब क़र्ज़ के जाल में उलझता जा रहा है। पंजाब के ऊपर कुल ऋण 3 लाख करोड़ रुपये का है और सरकार ने ख़ुद इसे साल 2024 में इसे 3.4 लाख करोड़ रुपये होने की शंका जतायी है। पिछले वित्त वर्ष में पंजाब सरकार ने 1200 करोड़ रुपये का वर्ल्ड बैंक से नया ऋण लिया है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में व्यापार और उद्योग को सबसे ज़्यादा बिजली की मार पड़ी है। पंजाब सरकार ने राजनीतिक हितों के लिए मुफ़्त की बिजली बाँटने से हर वर्ष 18,000 करोड़ रुपये सब्सिडी के नाम पर गँवाए है। इन पैसों से पंजाब को ऋण मुक्त करने की और कदम उठाये जाने या नयी व्यापारिक और औद्योगिक नीतियों में इस्तेमाल करने की बजाए राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। आवश्यकता से ज़्यादा आर्थिक मदद ने पंजाब को पीछे धकेल दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि आज पंजाब में देश और अन्य राज्यों के मुकाबले हाइड्रो प्लांट या सोलर प्लांट को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है। केवल एक ही सरकारी ठेका सोलर प्लांट का हुआ है। केंद्र सरकार द्वारा घरों की छत्त पर भी सोलर पैनल लगाने के लिए सब्सिडी दी जाती है लेकिन पंजाब की जनता इसके बारे में जागरूक नहीं है और न ही राज्य सरकार ने कोई कदम उठाया है।
उन्होंने कहा कि राज्य की व्यापारिक स्थिति भी बाक़ी राज्यों के मुकाबले कुछ अच्छी नहीं है। हरियाणा एक समय में पंजाब से पीछे माना जाता था और आज पंजाब से 4 गुना ज़्यादा जीएसटी कलेक्शन करता है। पंजाब का सालाना जीएसटी कलेक्शन 20000 करोड़ रुपये है, जबकि हरियाणा की जीएसटी कलेक्शन 70000 करोड़ रुपये के पार पहुँच चुकी है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, केरल के जीएसटी कलेक्शन में सालाना वृद्धि 20-30% रहती है वहीं पंजाब में यह केवल 15% तक रह जाती है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में इस वर्ष 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश भी बाहर जा चुका है और वही पंजाब सरकार 35000 करोड़ रुपये के नये निवेश की बात कर रही है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में सिंगल विंडो सिस्टम का अभाव भी है जिसकी वजह से लालफ़ीताशाही और अफ़सरशाही को बढ़ावा मिलता है और वही उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में इसको निपटने के किए सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया गया है जहां आप अपने आवेदन की पूरी जानकारी ले सकते हैं कि अभी किस अफ़सर के पास आपकी आवेदन बाक़ी है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में बहुत ऐसी समस्याएँ हैं जिन पर सरकार को सभी राजनीतिक दलों के साथ मिल कर कल चर्चा करके इसका हल निकालना चाहिए। युवा पीढ़ी का बाहर जाना, प्रदूषण कंट्रोल, समाज के सभी वर्ग को उनकी स्थिति के अनुसार आर्थिक सहायता यानी सब्सिडी देना , व्यापार अनुकूल माहौल बनाना यानी कानून व्यवस्था का बदलाव व अन्य समस्याएं।
उन्होंने कहा कि एक डेटा के मुताबिक़ पंजाब का निर्यात पिछले 6 वर्षों में 8000 करोड़ रुपये से घटा है और हरियाणा के निर्यात से बहुत नीचे आ चुका है। यह समस्याएँ पंजाब को भारी आर्थिक क्षति पहुंचाएंगी यदि इन समस्याओं पर जल्द ही कोई ठोस कदम न उठाये गये ।