समाचार विश्लेषण/पंजाब का राजनीतिक ड्रामा जारी
-कमलेश भारतीय
राजस्थान का राजनीतिक ड्रामा पिछले साल काफी हिट रहा था । क्या मुगले ए आज़म इसके आगे ,,,अशोक गहलोत और सचिन पायलट और सत्य । सत्य न पराजित हुआ और न ही विजयी । वहीं का वहीं और वैसे का वैसा यानी जैसा था । अब पंजाब की बारी है । इसमें मुख्य किरदार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू हैं । बाकी एक्स्ट्रा कलाकार आते जाते रहते हैं । जैसे सुनील जाखड़ और अब अश्वनी सेखड़ी । पहले सुनील जाखड़ आए और अपने इस्तीफे की पेशकश कर कुर्बानी देने की बात कही यानी डाॅयलाग बोल कर चल दिये । फिर आए अश्वनी सेखड़ी जिन्होंने अकाली दल में शामिल होने की खबर फैला दी और कैप्टन अमरेंद्र सिंह के कान खड़े हो गये । तुरंत दूसरे विधायक को भेजा जिन्होंने बात करवाई । पहले प्रभारी हरीश रावत से और फिर मुख्यमंत्री से । इस तरह जाने वाली बला टल गयी । अश्वनी जाकर अस्पताल दाखिल हो गये ताकि सुखवीर बादल हालचाल पूछने न आ सकें और यह भी न पूछें कि आते आते रह क्यों गये हुजूर? सुना है कैप्टन ने किसी विभाग की चेयरमैनी देने का लाॅलीपाप दिया है और सेखड़ी के बहके कदम सही राह पर लौट आए हैं । अभी कैप्टन को दिल्ली पेशी देनी है। ऐसे में सेखड़ी का जाना बहुत खराब इमेज देता । कदम रोक लिए और अकाली दल की स्वागत् की तैयारी धरी धराई रह गयी । नहीं तो खूब कांग्रेस के प्रति बयान आते और सिद्धू भी कहते कि कांग्रेस का कुनबा बिखर रहा है । अब उन्हें भी खामोश रहना पड़ा । आखिर पंजाब कांग्रेस के मसले को सुलझाने में इतनी देर क्यों ? क्या फूट को आज भी मजे की तरह लेती है कांग्रेस हाईकमान ? जख्म को नासूर में क्यों बदलने का इंतजार करती है कांग्रेस हाईकमान? पंजाब में चुनावों की तैयारी की बजाय अभी तक फूट पर ही काबू पाने में पसीने क्यों छूट रहे हैं ? हम तो इतना ही कहेंगे :
देर न हो जाये
कहीं देर न हो जाये ...