बिजली की अघोषित कटों से पंजाब का व्यापार वेंटिलेटर पर: पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल
कहा,चौबीस घंटे बिजली मुहैया कराने वाली गारंटी की खुली पोल
लुधियाना, 21 मई, 2024: पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल ने आज माता रानी चौक स्थित अपने दफ्तर में प्रेस कांफ्रेंस की जिसमें राज्य महासचिव और राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड (केंद्र सरकार) के सदस्य सुनील मेहरा, जिला अध्यक्ष परवीन गोयल और महासचिव और राष्ट्रीय सचिव भारतीय उद्योग व्यापार मंडल आयुष अग्रवाल उपस्थित थे ।
व्यापारी नेताओं ने कहा कि पंजाब सरकार की चौबीस घंटे बिजली मुहैया कराने की गारंटी की सचाई आज सबके सामने आ गई है। आज पंजाब भर में बिजली से लोग परेशान है विशेष तौर पर व्यापारी और उद्योगपति। उन्होंने कहा कि बिना किसी नोटिस या पूर्व सूचना के बिजली के 6-8 घंटे के कट लग रहे हैं। पहले पंजाब सरकार ने उद्योग और व्यापार के लिए 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली मुहैया का वादा किया था। लेकिन, राज्य सरकार द्वारा दी जा रही बिजली की कीमत उस वादे के आस पास भी नहीं है। इससे पंजाब के उद्योग धंधे देश के अन्य राज्यों के मुकाबले पिछड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कृषि क्षेत्र को निशुल्क बिजली देकर कर राजस्व पर बोझ डाल रही है । सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ इस वर्ष पंजाब का क़र्ज़ तीन लाख करोड़ से बढ़ कर 3.5 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। पंजाब सरकार सब्सिडी के नाम पर 20 लाख करोड़ रुपये की राशि पीएसपीसीएल को देनी शेष है जिसमें से केवल 9000 करोड़ रुपये अगले 5 साल में 1800 करोड़ रुपये की किश्त के हिसाब से पूरे होने है । इस वर्ष पीएसपीसीएल ने भी अपने आप को नुक़सान से बचाने के लिए क़रीब 800 करोड़ रुपये का ऋण लिया है, और सरकार कह रही है कि बिजली विभाग मुनाफ़े में चल रहा है। उन्होंने कि अगर मुनाफ़ा है तो बिना पूर्व सूचना के बिजली के कट क्यों लग रहे है।
उन्होंने आगे कहा कि बिजली विभाग के पास 72 लाख के आस पास डोमेस्टिक कंज्यूमर है जिनको प्रति माह 200 यूनिट मुफ्त बिजली मिलती है और उस नुकसान की भरपाई पीएसपीसीएल उद्योग और व्यापार में बिजली कटौती से कर रहा है। पिछले वर्ष 87% उपभोक्ताओं को बिजली मुफ्त दी गई है। यहां तक कि पीएसपीसीएल ने अपने नुकसान को बचाने के लिए भी दो बार बिजली दरें बढ़ाई हैं। छोटे और लघु उद्योग की फिक्स दरें 31% से बढ़ी है और बड़े उद्योग की 15-16% तक। इन दरों की बढ़ोतरी के कारण छोटे और लघु उद्योग को हर वर्ष 2000-2500 करोड़ रुपये ज़्यादा चुकाने पड़ रहे हैं और बड़े उद्योग और व्यापार को सालाना 18000 करोड़ रुपये ज़्यादा देने पड़ रहे हैं। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ राज्य सरकार ने अभी भी लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का कोयले का क़र्ज़ भी चुकाना है ।
उन्होंने आगे कहा कि कुल मिला कर बढ़ती बिजली दरें और ऊपर से चौबीस घंटे बिजली मुहैया ना होने के कारण उद्योग और व्यापार को नुक़सान होने की वजह से राज्य के कर संग्रह पर भी असर पड़ता है । पंजाब का सालाना जीएसटी संग्रह केवल 22000 करोड़ रुपये है और हरियाणा का सालाना चार गुना यानी 80000 करोड़ रुपये है । पंजाब की उद्योग स्तिथि इतनी खराब है कि यह का उद्योग क़ानून व्यवस्था और बिजली से परेशान हो कर 3 लाख करोड़ का निवेश उत्तर प्रदेश में जा कर रहा है। पिछले 6 वर्षों में 8 लाख से अधिक युवा पंजाब छोड़ दूसरे राज्य और देशों की और पलायन कर रहे हैं।
पिछले वर्ष भी पंजाब सरकार की बिजली की ऐसे ही बुरी हालत थी और सरकार के आदेश के अनुसार उद्योग और व्यापार जिनका सेक्शन लोड 50 केवी से अधिक का था उनके 30% लोड पर काम करना पड़ा । ऐसे में पंजाब का उद्योग बाक़ी राज्यों और देशों से कैसे मुकाबला करेगा ।
उन्होंने कहा कि आज पंजाब के उद्योग व्यापार को ज़रूरत है कुछ ऐसे सरकारी कदमों की जो पंजाब में एक ऐसा माहौल बनाये जहां उद्योग और व्यापार फल फूल सके ।
उन्होंने कहा कि कहा कि पंजाब व्यापार मंडल सरकार से आग्रह करता है कि इस वर्ष भीषण गर्मी में सरकारी थर्मल प्लांटों की क्षमता को 40% से बढ़ाकर 90% करें ताकि सरकार अपने प्लांटों की बिजली पर निर्भर रहे और ना कि पीपीएज़ पर। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि बिजली की समस्या को जल्द से जल्द ठीक किया जाये ताकि उद्योग और व्यापार अपना काम अच्छे से कर सके।