समाचार विश्लेषण/सवाल नयी संसद व मूर्तियां बनाने पर

समाचार विश्लेषण/सवाल नयी संसद व मूर्तियां बनाने पर
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
एक तरफ भाजपा तृणमूल कांग्रेस पर  निशाने साध रही है तो दूसरी ओर ममता बनर्जी भी सवाल उठा रही हैं। एक तरफ पश्चिमी बंगाल में चुनाव परिणाम घोषित हो जाने के बाद भी बढ़ती हिंसा पर राज्यपाल विशेष सचिव से जवाब मांग रहे हैं तो दूसरी ओर ममता बनर्जी भी नये संसद भवन और मूर्तियों के निर्माण पर खर्च किये जाने वाले बीस हज़ार करोड़ रुपये पर सवाल उठाते पूछ रही हैं कि इसकी बजाय तीस हज़ार करोड़ रुपये खर्च किये जाते टीकाकरण पर तो कैसा रहता ? प्रधानमंत्री राहत कोष कहां गया ? 

असल में अब यह बात पूरी तरह खुल गयी है कि जब देश में कोरोना की दूसरी लहर पांव पसारे रही थी तब प्रधानमंत्री को पश्चिमी बंगाल को विजय करने की चिंता थी और वे बड़ी बड़ी रैलियां कर दीदी ओ दीदी गा रहे थे । रोड शोज भी किये गये बिना जनता के स्वास्थ्य की चिंता किये । जैसे ही चुनाव संपन्न हुए और करारी हार का सामना करना पड़ा तब कोरोना याद आया और बीच मतगणना के प्रधानमंत्री की बैठक की सूचना दी गयी । हद है गोदी मीडिया।  बीच मुख्यमंत्री की शपथ के जे पी नड्डा द्वारा भाजपा विधायकों को गणतंत्र की रक्षा करने की शपथ दिलाते दिखाया गया । हिसा की वारदातें दिखाई गयीं । हिंसा की चिंता तीन मास बाद ही क्यों सताई ? फिर प्रधानमंत्री निवास बनवाने की जल्दी क्यों? देश पर आई विपदा से निपटिये  और एक फकीर की तरह पुराने आवास से ही काम चला लीजिए ।

अभी हरियाणा में भी कोरोना फैलता जा रहा है । कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष सैलजा और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा भाजपा सरकार की कड़ी आलोचना करते कह रहे हैं कि कोरोना से निपटने में सरकार बुरी तरह विफल रही है । सरकार अपनी कोशिशें बता रही है । गांवों में मृत्यु दर ज्यादा है लेकिन मीडिया तक जानकारी नहीं पहुंच पा रही । दीपेंद्र ने कहा है कि असल में सरकार ने दूसरी लहर से मुकाबला करने की तैयारी ही नहीं की । कोरोना टेस्टिंग और चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में गांवों में बड़े पैमाने पर पुलिस कोरोना से मौतें हो रही हैं । इधर मजदूरों का पलायन भी बढ़ता जा रहा है । 
मुझे पता नहीं क्यों सोनू सूद के प्रति सम्मान उमड़ता जा रहा है । वह महाराष्ट्रीयन भी नहीं , इंडियन है , पंजाबी तो है ही । फिर भी कोरोना से लड़ने के लिए उसने सरकार की मदद भी नहीं मांगी । हां , सरकार ने उसे घर को लेकर नोटिस जारी कर परेशान जरूर किया । फिर भी वह अपने स्तर पर ही काम पर लगा हुआ है । पता नहीं क्यों , मुझे वाक्य याद आ रहा है कि यह मत सोचो देश ने आपको क्या दिया ? यह सोचो कि आपने देश को क्या दिया ? यह आलोचना करने का समय नहीं रहा दीपेंद्र और सैलजा जी । यह सोनू सूद की तरह काम करने और मदद के लिए हाथ बढ़ाने का समय है । मुझे ऐसा लगता है । आप एक बार हाथ बढ़ायेंगे तो अनेक हाथ आपके साथ काम करने आ जायेंगे । यह मेरा विश्वास है । दीपेंद्र तो बड़े बड़े मेडिकल कैंप्स लगवाते भी रहे हैं तो मैं उम्मीद करूं कि आप अपने स्तर पर काम शुरू करेंगे ? सोनू सूद से तो आपके रिसोर्सेज ज्यादा ही होंगे और आपके पास संसद निधि भी है । क्यों नहीं आप यह शुभ काम शुरू करते ? प्रवासी मजदूरों को रामायण टोल के पास किसानों ने ही लंगर खिला कर जाने से रोक लिया । आप भी ऐसी व्यवस्था बड़ी आसानी से करवा सकते हो । हिसार में कुछ समाजसेवी इस काम में जुटे हुए हैं और साथी हाथ बढ़ाना करते कितने लोग इनकी मदद को निकल आए हैं । सरकार की आलोचना अपनी जगह , सरकार को चेताने का काम भी करते रहिए लेकिन आगे आइए और श्रीगणेश कीजिए अपने से । 
मशालें लेकर चल पड़े हैं
लोग मेरे गांव के ...