समाचार विश्लेषण/अदाणी अंबानी के चक्कर में फकीर
-कमलेश भारतीय
बहुत बड़ी खबर तो नहीं पर अखबार ने प्रमुखता से प्रकाशित की -अदाणी ने अमीरी में अंबानी को पछाड़ा । रिलायंस के शेयर गिरे और अदाणी के शेयरों में उछाल आया तब हुआ यह हाल ।
मित्रो । हमें क्या लेना अदाणी या अंबानी से ? नहीं । बहुत सीधा सीधा संबंध है इन बड़े उद्योगपतियों से और हमारा फकीर आजकल इनके ही फेर में रहता है बल्कि जब अपने आपको चौकीदार कहा था उन दिनों एक काॅर्टून आया -अंबानी दम्पत्ति के सामने हमारे फकीर हाथ जोड़े खड़े दिख रहे हैं और नीचे लिखा कि देख लिया ? जान लिया ? समझ गये कि ये किसके चौकीदार हैं ? नहीं समझे तो समझ जाओगे भैया ।
अब किसान आंदोलन का चक्कर कैसे चला ? पब्लिक सब जान गयी कि इन्हीं अदाणी अंबानी को खुश करने के लिए तीन कृषि कानून बनवाये गये और बिना किसी बहस के संसद में पारित भी हो गये । लेकिन अन्नदाता जागा । ऐसा जागा कि बड़ा लम्बा आंदोलन चला दिया । ऐसा आंदोलन कि राजहठ छोड़ कर फकीर को बिना किसी बहस मुबाहिसे या वार्ता के सीधे इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी । अब अदाणी अंबानी क्या करेंगे किसान आंदोलन के आगे ? सुनते हैं कि अन्न भंडारण के लिए बड़े बड़े स्टोरेज भी बनवा लिए गये थे जिन पर कहीं कहीं किसानों ने धावा भी बोला पंजाब में । इसके बावजूद जैसे खामोशी से कृषि कानून लाये गये उतनी ही खामोशी से वापस भी लेने पड़े जैसे महाराष्ट्र की आधी रात को बनवाई सरकार का भी इस्तीफा दिलवाना पड़ा था । उतनी ही फजीहत अब झेलनी पड़ी । फकीर का क्या है ? वे तो उत्तराखंड के केदारनाथ धाम जाकर तपस्या पर बैठ जायेंगे पर अदाणी अम्बानी क्या करेंगे ? सुना है अम्बानी तो विदेश में बसने के मूड में है क्योंकि वे लोग तो तपस्या करने नहीं जा सकते न ,,,भैया । उनके लिए तो सबसे बड़ा रुपइया जो ठहरा । वे तो आपस में ही मुकाबला करते रहेंगे । कभी अदाणी आगे तो कभी अंबानी आगे । गरीब का क्या है ? उसे तो महंगाई के बोझ तले मरना ही है ।
वैसे कांग्रेस भी कभी बिरला टाटा के साथ इतने मधुर संबंध बनाये रखती थी लेकिन तब यह खेल इतना खुला नहीं था कि आम जनता इसे समझ सके । कांग्रेस राज में टाटा बिरला के ही चर्चे होते थे । 'आंधी' फिल्म में उद्योगपतियों का राजनीति के साथ संबंध बिल्कुल स्पष्ट दिखता है कि कैसे वे चंदा देते हैं राजनीतिक दलों को । बहुत दूर क्यों जाना ? हमारे हिसार के स्टीलमैन व जिंदल उद्योग समूह के संस्थापक बाबू ओमप्रकाश जिंदल ने साफ साफ कहा था कि मैंने तो दुधारू गाय यानी सरकार की लात भी सही और चंदा भी दिया । जब इससे तंग आ गया तब खुद ही चुनाव मैदान में उतर आया और अब जो सैल्यूट मिलता है उससे नशा सा आ जाता है । ऐसे ऐसे रिश्ते हैं उद्योगपतियों के और जनसेवा भी खूब करते रहे बाबू जी और उनका परिवार । अंबानी की बहू नीता अंबानी जनसेवा तो करती होगी लेकिन आईपीएल क्रिकेट की मुम्बई टीम की महारानी जरूर है और मैचों के दौरान दिखाई देती है ।
खैर । ये नजदीकियां सत्ता के सहारे इतनी बढ़ती जा रही हैं कि न केवल फकीर बल्कि ये अदाणी व अंबानी भी खूब चर्चित हो रहे हैं ।
-पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।