राजस्थान सरकार, दलबदल या उपेक्षा की शिकार?

राजस्थान सरकार, दलबदल या उपेक्षा की शिकार?
कमलेश भारतीय।

- कमलेश भारतीय 
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कल लाइव टीवी चैनलों पर आए और भाजपा पर तीन निर्दलीय विधायकों को करोडों रुपये की पेशकश की ऑडियो रिकाॅर्डिंग का आरोप लगाते हुए अपनी सरकार गिराने की साजिश की सूचना दी । उन्होंने गोवा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, मणिपुर और अन्य राज्यों का उदाहरण भी दिया कि किस तरह वहां खरीद फरोख्त के बल पर सरकारें गिराईं या बनाई गयीं । अब बारी राजस्थान की है । इस तरह की हरकत करने वाले दो लोगों के विरुद्ध केस भी दर्ज किया गया है । अब यह एक नया पेंच सामने आया है कि उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने समर्थक  कांग्रेसी विधायकों को लेकर राजस्थान से बाहर पहुंच चुके हैं ताकि हाईकमान को उसके फैसले की प्रतिक्रिया देकर अपना दावा पेश कर सकें । चुनाव के समय सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे और खूब मेहनत की लेकिन जब मुख्यमंत्री बनाने का  वक्त आया तब अशोक गहलोत कुर्सी पर बैठे नज़र आये । यही मध्य प्रदेश में हुआ । ज्योतिरादित्य की उपेक्षा कर वरिष्ठ कमलनाथ को कुर्सी सौंप दी गयी जिसका नतीजा सामने है । मध्यप्रदेश के बाइस विधायकों को लेकर ज्योतिरादित्य भाजपा से जा मिले । न कांग्रेस सरकार रही और न ही प्रियंका गांधी को राज्यसभा में पहुंचाने के मंसूबे पूरे हुए । ज्योतिरादित्य अब राज्यसभा भी पहुंच गये और संभवतः मंत्रिमंडल फेरबदल में मंत्री भी बन जायें । 
राजस्थान में भी युवा सचिन पायलट की उपेक्षा की गयी या अभी जारी है ? जब चुनाव परिणाम आए थे तब सबको यही लगता था कि राजस्थान व मध्यप्रदेश में कांग्रेस युवा नेताओं पर दांव लगायेगी लेकिन वही पुराने चेहरे देख कर मायूसी की लहर फैल गयी । युवा नेताओं को कब मौका मिलेगा? राजस्थान की सरकार गिराने की साजिश भाजपा कर रही है तो कांग्रेस को मध्यप्रदेश से सबक लेते हुए जनाकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए विचार करना चाहिए । एक समय नेहरु युवा थे । गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता आंदोलन में साथ दिया और प्रथम प्रधानमंत्री बने । अब अशोक गहलोत और कमलनाथ के मार्गदर्शक मंडल में जाने या शामिल किये जाने की जरूरत है । कांग्रेस सारा दोष भाजपा पर ही नहीं लगा सकती । दोष कांग्रेस का अपना भी है । युवा नेताओं की उपेक्षा करना । राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के बाद इन दोनों नेताओं को कहा भी था कि आपको सिवाय अपने बेटों के चुनाव क्षेत्रों के किसी ओर क्षेत्र की सुध नहीं थी । इसी के चलते ज्योतिरादित्य भी पराजित हुए और राजस्थान में तो मुख्यमंत्री गहलोत का बेटा भी हार गया । यही है आपकी लोकप्रियता? सोचिए ? कांग्रेस को युवा शक्ति पर विश्वास जताना होगा । तभी यह संकट टल पायेगा नहीं तो भाजपा को कोसने से कुछ नहीं होगा ।