पिक्चर अभी बाकी है राजस्थान की
-कमलेश भारतीय
सोलह दिन । लगातार । राजस्थान में राजनीतिक उथल पुथल । कोई हल अभी तक नहीं । कोई समस्या भी नहीं । सचिन पायलट और उनके साथी विधायक बार बार कह रहे हैं कि हम कांग्रेस में ही हैं । हम भाजपा में शामिल नहीं होने जा रहे । इसको देखते हुए महामहिम राज्यपाल महोदय पूछ रहे है फिर विश्वासमत किससे लेना है ? किसे दिखाना है और किसने आप पर अविश्वास व्यक्त किया है ? क्या एजेंडा है सत्र बुलाने का ? ऐसी क्या आपदा आ गयी कि विधानसभा सत्र बुलाने के लिए हमारे लाॅन में धरना देने क्यों आ गये ? कम से कम इक्कीस दिन लगेंगे तब आइएगा । सवाल उठने लगा है कि क्या राज्यपाल इस तरह मुख्यमंत्री की सिफारिश को इग्नोर कर सकते हैं ? विशेषज्ञ और टी वी बहस के शो इस सवाल को लेकर चल रहे हैं । विशेषज्ञ अपनी अपनी सुना रहे हैं । पर राज्यपाल इन पर नहीं चलेंगे । ऊपर से जो आदेश और सलाह आयेगी उसी पर चलेंगे । आप अपने शो चलाइए और दर्शक संख्या बढ़ाइए । आपको क्या ? आपका शो चलना चाहिए । कांग्रेस असमंजस में है । शायद राहुल बाबा अपने हम उम्र दोस्त को मना लें । पर गहलोत किसी भ्रम या इंतज़ार में नहीं । वे तो गेम ओवर करने के मूड में हैं सचिन पायलट की । पायलट को नकारा , निकम्मा कहने के पीछे यही मंशा दिखती है । भाजपा कमाल के मूड में है । हम देख रहे हैं और मज़े ले रहे है । हमारा तो कुछ लेना देना नहीं । यह तो कांग्रेस के घर की आग है और नाम हमारा लिया जा रहा है । अपना घर संभाल नहीं पा रही कांग्रेस । सब आपस में लड़ते लड़ते भाजपा के द्वार तक आ जाते हैं तो हम क्या करें ? हां । विधायक पूरे तीस लाओ सचिन । तभी द्वार खेलेंगे । नहीं तो लौट जाओ ।वही समय राज्यपाल दे रहे हैं कि जुटा ले सचिन । कर ले हिम्मत । भाजपा साथ है । आईडी साथ है । बता और क्या चाहिए ? मांगो क्या मांगना है ? बाकी तो मुख्यमंत्री पद न मांग बैठना । सिंधिया की बुआ नाराज हो जायेगी । हमें पार्टी भी चलानी है सचिन । आप मुफ्त में हुए बदनाम । कांग्रेस प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक प्रदर्शन करने की प्लान बना रही है । एन टी रामाराव की तर्ज पर । कहीं कलराज मिश्र भी रामलाल की गति को प्राप्त न हो जायें । पिक्चर अभी बाकी है दोस्त ।