केरल में राजकमल का 'ज्ञान पर्व' 12 से
नई दिल्ली, 9 सितंबर 2023: राजकमल प्रकाशन समूह 12 सितंबर से 16 सितंबर 2023 तक केरल हिन्दी प्रचार सभा के साथ मिलकर तिरुवनंतपुरम में 'ज्ञान पर्व' का आयोजन करने जा रहा है। पांच दिनों तक चलने वाले इस 'ज्ञान पर्व' में भाषा-मैत्री संवाद, विभिन्न विषयों पर व्याख्यान, हिन्दी और मलयालम में काव्य-पाठ, विभिन्न मुद्दों पर परिचर्चाएँ, अनुवाद कार्यशाला, नई पुस्तकों का लोकार्पण और बातचीत समेत अनेक गतिविधियाँ होंगी। कार्यक्रम का उद्घाटन 12 सितंबर को प्रातः 10 बजे केरल के पूर्व मुख्य सचिव के. जयकुमार के हाथों होगा। उद्घाटन समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया और सुप्रसिद्ध लेखक मधु कांकरिया बतौर मुख्य अतिथि और डॉ. एस तंकमणि अम्मा मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहेंगे।
'ज्ञान पर्व' के दौरान 'केरल में हिन्दी : दशा और दिशा', 'इक्कीसवीं सदी में कबीर', 'साहित्य और पर्यावरण', 'भारतीय साहित्य की अवधारणा', 'भिन्न यौनिकताएँ : साहित्य में उपस्थिति का सवाल', 'हिन्दी और मलयालम : संचार के नए माध्यम', 'समकाल : साहित्य और विचारधारा', 'केरल की हिन्दी पत्रिकाएँ : उपलब्धि और चुनौतियाँ' जैसे प्रमुख विषयों पर परिचर्चा समेत अनेक सत्र आयोजित होंगे।
'ज्ञान पर्व' राजकमल प्रकाशन समूह की ओर से अकादमिक क्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखकर आयोजित की जाने वाली आयोजन शृंखला है। इसके दौरान विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के साथ पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई जाती है। केरल में यह इस शृंखला का दूसरा आयोजन होगा। इस शृंखला की शुरुआत इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज से पिछले अगस्त माह में हुई, जिसके तहत 21 से 26 अगस्त 2023 तक पांच दिवसीय कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा कि हिन्दी के अग्रणी प्रकाशक के बतौर हमने देश के हिन्दी और गैर-हिन्दी भाषी राज्यों में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए हैं। ज्ञान पर्व हमारी नई पहल है। यह विशेष रूप से अकादमिक क्षेत्र को ध्यान में रख कर शुरू किया है।
उन्होंने कहा, सभी भारतीय भाषाओं के पास भी समृद्ध साहित्य की महान विरासत है। हिन्दी से इतर भाषा भाषी क्षेत्रों में इस तरह के आयोजनों से दो अलग-अलग भाषाओं और संस्कृतियों का मिलन होगा और विचारों के आदान-प्रदान से भाषाओं की मैत्री बढ़ेगी। मुझे विश्वास है कि केरल में आयोजित होने वाला 'ज्ञान पर्व' हिन्दी और मलयालम भाषा के बीच संवाद की एक मजबूत कड़ी बनेगा और दक्षिण में हिन्दी भाषा के प्रसार के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।