राजकोट: दिल दहला देने वाला हादसा
-*कमलेश भारतीय
राजकोट के दिल दहला देने वाले हादसे ने आंखें नम कर दीं और यह कोई पहला हादसा नहीं। गुजरात के ही सूरत के तक्षशिला कांड को भी याद दिलाया गया है, जिसमें 22 बच्चों की जान गयी थी। इसी प्रकार बड़ौदा के हरणी वोट कांड का उदाहरण सामने है, जिसमें बारह बच्चों समेत चौदह जानें गयी थीं। एक तीसरा और उदाहरण है मोरबी झूलता पुल कांड, जिसमें सबसे ज्यादा 135 लोगों ने अपनी जान गंवाई। ये तो सिर्फ गुजरात के ऐसे दुखांत हैं, इनके अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय देश के किसी न किसी कोने में ऐसे हादसे होने की खबरें दिल दहलाती रहती हैं। हरियाणा के महेंद्रगढ़ के पास ड्राइवर की गलती से बच्चे अपनी जान गंवा बेठे थे और पूरे हरियाणा में प्राइवेट स्कूलों की बसों की फिटनेस जांचने के आदेश जारी किये गये थे लेकिन इसके बाद प्रशासन व सरकार चुनाव में व्यस्त हो गये।
गुजरात का यह कांड में टीआरपी गेम जोन के रूप में हुआ है। पहले टिकट पांच सौ रुपये थी, जिसे कम करके मात्र 99 रुपये कर दिया गया, जिससे बच्चे ही नहीं अभिभावक भी इसका मज़ा लेने आ पहुंचे। वेल्डिंग करते समय आग ने पूरे टीआरपी गेम जोन को लपेट लिया और अब तक तीस लोग ज़िदा जल गये। इतनी बुरी तरह जल गये कि बोरियों में सिर्फ टुकड़े ही समेट कर लाये जा सके।टीआरपी जोन के मालिकों को हिरासत में ले लिया गया है लेकिन यह दुखांत कभी न भूलने वाला दुखांत है, जैसे कभी दिल्ली का अलंकार सिनेमा कांड। जैसे कभी हरियाणा का डबवाली कांड, जिसमें स्कूली बच्चे व अध्यापक जान गंवा बैठे थे। कभी हमारे धार्मिक स्थलों पर भारी भीड़ के चलते भगदड़ मच जाती है और उसी भगदड़ में अनेक जानें चली जाती हैं। असल में हमारे यहां कतार का कल्चर ही नहीं। कतार तोड़ो कल्चर है, जिससे हादसे होते हैं। कोई अपनी बारी का इंतज़ार नहीं करना चाहता। सब कतार तोड़ने पर आमादा रहते हैं। यह कल्चर बदलना चाहिए। कुछ दिन गेम जोन पर बात होगी और फिर सब भूल भाल जायेंगे। यही हमारी प्रवृति है। यही हमारी सोच।प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भी इस दुखांत पर गहरा शोक व्यक्त किया है और जो भी यह समाचार जानेगा, उसकी आंखें जरूर नम होंगी लेकिन हम ऐसे कदम उठायें, जिससे ऐसे कांडों की पुनरावृत्ति न हो या कम गुंजाइश रहे।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।