समाचार विश्लेषण/राज्यसभा चुनाव: बाबूजी कितने रंग देखोगे?
-*कमलेश भारतीय
राज्यसभा चुनाव । आज संपन्न हो जायेगा । शाम तक परिणाम भी आ जायेगा । इन दस दिनों में कितने ही चेहरे और कितने ही बयान पढ़ने को मिले । किस पर विश्वास करें तो किस पर नहीं ? सभी सच्चे लगते हैं । सभी अपनी अपनी जगह दूध के धुले लगते हैं पर राजनीति में जो दिखता है , वह होता नहीं और जो होता है वह दिखता नहीं । कुलदीप बिश्नोई ने अंतरात्मा की आवाज की बात उठाई , कांग्रेस से नाराजगी की वजह बताई । आखिरकार रायपुर भी गये और लौटे भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ । लोग कह रहे हैं कि दुआ सलाम ही हुई ।
न जी भर के देखा, न कुछ बात की।बड़ी आरजू थी , मुलाकात की ...
मुलाकात तो जैसी भी हो , परिणाम सही आना चाहिए । नाराजगी भी होती है और मान मनोब्बल भी होना चाहिए । कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्या है जो आसानी से अजय माकन जीत सकते हैं । फिर भी क्राॅस वोटिंग का डर सता रहा है । कोई वोट खराब न कर दे । दो दो बार वोटिंग ड्रिल करवाई गयी । रायपुर में । नीरज शर्मा रामायण का पाठ करते रहे -सबको सन्मति दे भगवान् । अब आ गये हैं लौटकर । कह रहे हैं विरोधी कि ठंडी जगह तो ले जाते । आपकी तो सरकार है हिमाचल में , आप भी मोहाली के ही रिसोर्ट में रखे रहे । क्यों ? आप कहते थे कि हमारे विधायक शेर हैं , फिर खुले में क्यों न घूमने दिये भाई ? सबको अपनी अपनी फिक्र है । अभय चौटाला ने खोल दिये पत्ते कि कार्तिकेय को वोट दूंगा क्योंकि मनु शर्मा ने अजय की बड़ी सेवा की तिहाड़ जेल में । भाई , कहां से कहां कनेक्शन निकल आता है और जुड़ जाता है ? फिर इतना प्यार है तो एक क्यों नहीं हो जाते भाई भाई ? कहने की बात है । कह दिया । मानने की बात है मानो या न मानो । अब बलराज कुंडू पर भी डोरा डालने देवेंद्र बबली पहुँच गये चंडीगढ़ और वे फिलहाल नही माने और कहा कि बाकायदा अप्रत्यक्ष रूप से कुछ सपने भी दिखाये गये लेकिन वे अपना फैसला वोट करते समय बतायेंगे ? थोड़ा सा ही गेम है -एक दो वोट का और दादा रामकुमार गौतम क्या करेंगे ? कह तो रहे है कि मेरा कोई संबंध नहीं चौटाला से । अब देखते रहिए दिल थाम कर । चौ रणजीत ने भी बताया कि कौन कौन क्लासफैलोज हैं लेकिन यह भी कह दिया कि राजनीति सब अपने हिसाब से करते हैं । राजनीति में रिश्ते नहीं चलते । पूरा चौटाला परिवार ही इसका सबसे बड़ा उदाहरण है । दूसरों की क्या बात करना ?
अब राज्यसभा चुनाव -मतदान और परिणाम का दिन । यदि हुड्डा किसी भी तरह यह वैतरणी पार कर जाते हैं और अजय माकन को जिता कर दिखा देते हैं तो हरियाणा की राजनीति में उनकी पैठ मानी जायेगी और कांग्रेस हाईकमान के सामने भी सिर ऊँचा हो जायेगा । यदि किसी कारणवश यह गेम रह गया तो बहुत कठिन डगर हो जायेगी । निकाय चुनाव भी सिर पर हैं । अभी उधर तो देखा झांका तक नहीं । देखिए , ऊंट किस करवट बैठता है ,,,,
सबको दुआएं ...रब्ब खैर करे
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।