राज्यसभा सीट ने बढ़ाईं सरगर्मियां

राज्यसभा सीट ने बढ़ाईं सरगर्मियां

-*कमलेश भारतीय
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के साथ साथ एक राज्यसभा सीट के लिए सरगर्मियां एकाएक तेज़ हो गयी हैं। दरअसल रोहतक से कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा के सांसद चुने जाने के बाद यही फैसला आना है कि वे राज्यसभा सीट से इस्तीफा दे देंगे और सांसद बने रहेंगे। इसी संभावना को देखते हुए पूर्व सांसद व पूर्व विधायक कुलदीप बिश्नोई ने भाजपा के चाणक्य अमित शाह से शिष्टाचारवश भेंट की, जो शिष्टाचार कम, यह याद दिलाने के लिए थी कि मुझे हिसार से लोकसभा की टिकट से वंचित रखा गया था, अब कम से कम राज्यसभा में ही भेज दीजिये। फिर यह भी याद दिलाया होगा कि कैसे अजय माकन को हराने के लिए कांग्रेस विधायक होते हुए भी निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा को डंके की चोट वोट देकर भाजपा को समर्थन दिया था। अब इतने सारे घटनाक्रम के बाद कम से कम राज्यसभा की टिकट तो दे ही दीजिये। अभी तक बेटे व आदमपुर से भाजपा विधायक भव्य बिश्नोई को हरियाणा मंत्रिमंडल में शामिल न किये जाने की नाराजगी भी भूल जाऊंगा, यदि आप मुझे राज्यसभा में भेजने का टिकट दे देते हैं। कुछ इस तरह की शिष्टाचार भेंट में बातें हुई होंगीं। 
क्या अब जो नयी स्थितियां बनी हुई हैं, उनमें भाजपा इतनी आसानी से राज्यसभा सीट निकाल लेगी? यह भी एक यक्ष प्रश्न है आज हरियाणा की राजनीति में। तीन निर्दलीय सरकार का साथ छोड़ चुके हैं। चौ रणजीत चौटाला का इस्तीफा मंजूर हो चुका है और जजपा के दस विधायक अब गठबंधन से बाहर हो चुके हैं और अलग अलग राह पर चल रहे हैं। इनेलो का एक ही विधायक है अभय चौटाला। फिर कैसे राह आसान मान ली जाये राज्यसभा की? बड़ी कठिन है डगर राज्यसभा की। फिर भी उम्मीद पर आसमान टिका है और हर किसी को सपने देखने का हक है। 
विधानसभा चुनाव की तैयारियों में कांग्रेस और भाजपा जुट गयी हैं । लोकसभा में दोनों का मैच पांच पांच पर बराबर छूटा है । कांग्रेस का एसआरके गुट पांच सीटें हारने का इल्जाम नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर लगा रहा है । पूर्व मंत्री किरण चौधरी का मन अभी तक अशांत है और वे लगातार अपनी बेटी श्रुति चौधरी की टिकट काटे जाने का सारा दोष हुड्डा पर ही मढ़ रही हैं और अब वे किस ओर चल निकलेंगी, यह भगवान् की मर्जी होगी ! कैप्टन अजय यादव कह रहे हैं कि यदि मुझे गुरुग्राम से टिकट दी होती तो परिणाम कुछ और होता। यानी लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में गुटबाजी और खुलकर सामने आ रही है और तेज़ हो गयी है। कभी सुश्री सैलजा कहती हैं कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के और भी दावेदार हैं, कोई एक ही दावेदार नही है।  ये सब क्या इशारे कर रहे हैं ? बाबू, समझो ये इशारे। जनता समझ रही है और यह जो जनता है न कुछ न कुछ सबक जरूर सिखाती है। ‌भाजपा और जजपा के लोकसभा प्रत्याशियों को कितना सबक सिखाया, जब गांवों में घुसने ही नहीं दिया। पूरे साढ़े चार साल का हिसाब बराबर कर लिया। अब विधानसभा चुनाव में क्या होगा, यह देखना बाकी है। दुष्यंत कुमार ठीक ही कह गये हैं :
आपके कालीन देखेंगे किसी दिन 
इस समय तो पांव कीचड़ से सने हैं! 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।