पापा हिप्पोक्रेट, गाने प्यार भरे लिखे और प्यार पर ही पहरा लगा दिया - राकेश आनंद बख्शी

पापा हिप्पोक्रेट, गाने प्यार भरे लिखे और प्यार पर ही पहरा लगा दिया - राकेश आनंद बख्शी
Your Words. My Voice-Mohammed Ali Shah, Nidheesh Tyagi, Leher Sethi.

- दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल की शानदार शुरुआत
- फेस्टिवल में सुनने को मिले मशहूर गीतकार आनंद बख्शी की जिंदगी के अनछुए किस्से
- फैज़ के शहर से लेकर लाहौर तक की गलियों का दिखा नज़ारा

प्यार दीवाना होता है मस्ताना होता जैसे प्यार भरे सैकड़ों गीत लिखने वाले आनंद बख्शी को जब अपने बेटे के प्यार के बारे में पता चला तो उन्होंने सबसे पहले बेटे को पढ़ाई पर फोकस करने की सलाह दी. ये रोचक किस्सा आनंद बख्शी के बेटे राकेश आनंद बख्शी ने दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल के छठे संस्करण में सुनाया. उन्होंने बताया कि जब पिता जी को मेरे प्यार के बारे में पता चला तो उन्होंने कहा कि पढ़ाई पर फोकस करो और प्यार-व्यार का चक्कर छोड़ो. राकेश बख्शी ने बताया कि आम युवा की तरह मैं भी उन पर भड़का और कहा कि आपने प्यार भरे इतने गाने लिए और मुझे प्यार करने से रोक रहे हैं. इस पर आनंद बख्शी ने समझाते हुए कहा कि वो गाने मैंने तुम्हारे या किसी और को प्यार में पड़ने के लिए नहीं बल्कि एक फिल्मी किरदार के लिए लिखे हैं.

और फिर निकल पड़ा कविताओं का कारवां
 दिल्ली को अदब के जिस उत्सव का इंतजार था वह शनिवार को शुरु हो गया. दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल के 6ठे संस्करण की शुरुआत शनिवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर में हुई. कोरोना महामारी के चलते 2 साल तक इसका आयोजन नहीं हो सका. लेकिन साल 2022 के जाते-जाते कविताओं का सफर फिर से शुरू हुआ. कविताओं के इस सफऱ की शुरुआत शनिवार सुबह लगभग 11 बजे से हुई. कार्यक्रम की शुरुआत इंडिया हैबिटेट सेंटर (नई दिल्ली) में कार्यक्रमों के रचनात्मक प्रमुख अर्शिया सेठी ने कविता के मायने बताते हुए की. उन्होंने कविताओं की जिंदगी में अहमियत को हिंदू पैराणिक कथा से जोड़कर समझाया.

फैज़ के साथ सुबह की शुरुआत
सर्दी की सुबह की भीनी धूप और फैज़ का कलाम. इससे बेहतर सुबह की शुरुआत क्या हो सकती है. दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल की सुबह भी कुछ ऐसे ही हुई. दिल्ली के बेहतरीन साहित्य और रंगकर्मी प्रोफेसर दानिश इकबाल ने कविता के कद्रदानों का फैज़ की कविताओं से फिर परिचय कराया. फैज़ ने कौन सी कविता कब और किस माहौल में लिखी इस पर उनकी जानकारी ने लोगों को हैरान कर दिया. उनके साथ कार्यक्रम में मौजूद मनू कोहली ने फैज़ की कविताओं को बेहतरीन अंदाज़ में पेश किया. गिटार की धुन के साथ मनू की आवाज़ ने फैज़ के कलाम को लोगों की रूह तक पहुंचाने का काम किया. जब उन्होंने 'हम देखेंगे' गया तब पूरा एंफिथिएटर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज गया. फैज को सुनकर कविता के दीवाने झूम उठे, हर नज्म का इस्तेकबाल लोगों ने तालियों से किया.

बात लाहौर तक पहुंची
कविता के इस महाउत्सव को एक अलग मुकाम पर पहुंचाने का काम चंडीगढ़ की पॉडकास्टर एमी सिंह ने किया. पोएट्री फेस्टिवल के डाक टु लाहौर सेशन में एमी सिंह ने लाहौर को याद किया.  एमी ने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के शहर लाहौर को लेकर एक बेहतरीन इनीशिएटिव शुरू किया. उन्होंने साल 2019 में अपने दादा जी के शहर लाहौर के नाम चिट्ठियां लिखनी शुरू कीं. उनका ये पोस्ट देखते-देखते सरहद के दोनों तरफ ही वायरल हो गया. एमी ने लोगों को भी लाहौर के नाम अपने संदेश और स्नेह की पाती लिखने को प्रेरित किया. फिर क्या था सरहद के दोनों तरफ से चिट्ठी लिखने का सिलसिला शुरू हो गया. एमी ने बताया कि अब भी तकरीबन रोज उनके मोबाइल पर लाहौर से लिखा कोई न कोई संदेश जरूर आता है.

कविताओं में बयां यूक्रेन युद्ध का दर्द
वरिष्ठ पत्रकार और कवि निधीश त्यागी ने यूक्रेन के कवियों की लिखी ताजा कविताओं से लोगों को झकझोर दिया. युद्ध की व्यथा नाम के इस सेशन में यूक्रेन युद्ध की पीड़ा को खुद में समेटे ये कविताएं अपने आप में किसी दस्तावेज़ से कम नहीं थीं. निधीश त्यागी ने यूक्रेन के समकालीन कवियों लाइस्क पनाउसिक, इवा कीव, शेरिया हाडान, मरजाना सवाक, कटरीना कल्यातको, आइरीना शुवालोवा और हाल्यांका क्रुक की कविताएं पेश कीं. ये सभी कवि यूक्रेन युद्ध की विभीषिका के बीच काव्य रचना का काम कर रहे हैं. इनकी कविताएं एक तरफ भयानक युद्ध का विध्वंस समेटे हैं तो दूसरी तरफ उस वेदना को भी प्रकट कर रही हैं जो आम यूक्रेनी झेल रहा है. यूक्रेनी कविताओं में आम यूक्रेनी के घर के आंगन से लेकर अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच रहे हजारों लोगों की पीड़ा उघड़ कर सामने आई. निधीश द्वारा पेश की गई कविताओं का दर्द कुछ ऐसा था कविता प्रेमी सुनकर स्तब्ध रह गए.    

बख्शी की कहानी बख्शी की जुबानी
दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल के इस सेशन ने भारतीय सिनेमा जगत के सबसे बड़े गीतकार आनंद बख्शी को याद करने का मौका दिया. इस सेशन का नाम था कुछ तो लोग कहेंगे. इस मौके को खास बनाया आनंद बख्शी के बेटे राकेश बख्शी और उनकी बेबाक बातों ने. उन्होंने अपने पिता की लिखी आखिरी कविता 'सुनो बख्शी के दुखड़े' को लोगों को बीच रखा. उनके कहने पर ग़जल गायक अमरीश मिश्रा ने इस कविता को गाकर सुनाया. इस सेशन में डॉक्यूमेंट्री मेकर ब्रह्मानंद सिंह ने राकेश आनंद बक्शी से अंतरंग बातचीत की. इस बातचीत राकेश बख्शी के सुनाए कुछ किस्सों ने लोगों को चेहरे पर मुस्कान बिखेरी तो कुछ ने आंखें नम कर दीं. कुछ किस्से सुनाते हुए तो खुद राकेश आनंद बख्शी का गला रुंध गया.

उनके शब्द हमारी आवाज़
देश-दुनिया के मशहूर कवियों को अलग-अलग कलाकारों ने दिलकश अंदाज़ में पेश किया. मिसाल के तौर पर इंडिया हैबिटेट सेंटर के डायरेक्टर सुनीत टंडन ने डोम मोरेस की कविताओं को पढ़ कर सुनाया. अपने कविता पाठ की शुरुआत उन्होंने डोम की कविता कन्हेरी केव्स से की. उनके अलावा इस सेशन में रंगकर्मी मोहम्मद अली शाह, निधीश त्यागी ने भी कविता पाठ किया. लहर सेठी ने सेशन का संचालन किया.
इस साल उत्सव में पंजाबी कविताएं भी जोड़ी गईं. इस साल महान कवि वारिस शाह की 300वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर पंजाबी के मशहूर कवि पद्म श्री सुरजीत पातर ने कविता प्रेमियों को पंजाबी कविताओं की दुनिया से रूबरू कराया. उन्होंने वारिस शाह की कविताओं पर बड़े पैमाने पर काम किया है. उनकी डॉ वनिता के बीच खुशमिज़ाज और सहज बातचीत ‘हवा विच लिखे हर्फ़’ ने लोगों को बांधे रखा.

रात ढली सूफियाना कलाम से
दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल के पहला दिन अपने अंजाम तक हरप्रीत की आवाज़ के साथ पहुंचा. हरप्रीत एक बहुमुखी कलाकार हैं, जो हिंदी के साथ-साथ क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं और बोलियों जैसे पंजाबी, बंगाली, असमिया, राजस्थानी और हरियाणवी में मूल संगीत रचनाएँ गाते हैं. उनकी रचनात्मक प्रतिभा आधुनिक और पारंपरिक दोनों के बीच पुल का काम करती है. हरप्रीत ने अपनी आवाज़ से कबीर, नानक और बाबा बुल्ले शाह के साथ पाश और फैज़ को जीवंत कर दिया.

दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल, जनवरी 2013 में शुरू हुआ. यह दिल्ली के ऐतिहासिक शहर की काव्य और सांस्कृतिक विरासत का एक जश्न है. यह दिल्ली की जीवंत और समावेशी भावना को खुद में समेटे हुए है. इस फेस्टिवल का सपना फेस्टिवल डायरेक्टर और संस्थापक डॉली सिंह ने देखा और उसे साकार किया. वह हर साल उसे और व्यापक और बड़ा बनाती जा रही हैं. उनके साथ मजबूत स्तंभ की तरह खड़े हैं दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल के कार्यकारी प्रोड्यूसर संजय अरोड़ा.