समाचार विश्लेषण/उपचुनाव के बीच जेल से बाहर आने की तैयारी में राम रहीम
-*कमलेश भारतीय
वाह ! क्या कनेक्शन है ! मंडी आदमपुर उपचुनाव और पंचायत चुनाव और राम रहीम के सुनारिया जेल से बाहर पैरोल पर छूट्टी मनाने की तैयारी ! यह संयोग कोई पहली बार नहीं बन रहा है । यह तो हर चुनाव में होता है यानी राम रहीम भी एक फैक्टर रहता है हर चुनाव में ! राम रहीम को पहले भी छुट्टी मिली थी और वे गुरुग्राम के पास अपने पोते पोतियों के साथ खिली धूप में खेल कर वापस जेल पहुंचे थे । वैसे हमारे जेल मंत्री चौ रणजीत सिह अनेक बार कह चुके हैं कि हर कैदी का अपना अधिकार है । राम रहीम को पेरोल लेने का अधिकार है । इसमें कोई हैरत वाली बात नहीं । जेल प्रशासन से फीडबैक लेकर ही पैरोल दी जाती है । पूरे कायदे कानून देखे जाते हैं और राम रहीम तो फिर राम रहीम ही है न ! चुनाव कनेक्शन क्यों कहते हो आप ? इस नयी पैरोल के चलते राम रहीम अपनी दीवाली जेल के बाहर मना सकेगा । सिरसा या राजस्थान के डेरे में पैरोल बिताने की बात निकल कर आ रही है । तैयारियां भी चल रसी हैं । फिर भी इस पैरोल को न केवल मंडी आदमपुर उपचुनाव बल्कि पंचायत चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है । ऐसा लगता है कि यहां सारी दुनिया राम भरोसे है , वहीं हरियाणा की राजनीति राम रहीम भरोसे तो नहीं ? इसी साल पहले फरवरी और फिर जून माह में राम रहीम पैरोल इंजॉय कर चुका है । एक साल में 90 दिन की पैरोल ली जा सकती है और अभी इस साल के अंत तक 40 दिन की पैरोल बचती है ! फिर क्यों न दीवाली बाहर मनाई जाये ? जून माह की पैरोल के दौरान राम रहीम ने न केवल अपने आधार कार्ड में बल्कि फैमिली आईडी में भी चेंज करवाई । सचमुच राम रहीम का गाना याद आ गया -यू आर माई लव चार्जर ! किस्से और कहानियां चल निकली हैं कि अब सिर्फ हनीप्रीत ही बच रही है फैमिली में !
हर बार पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की फैमिली को राम रहीम की पैरोल की बात सुनते ही चिंता हो जाती है । यह फैमिली कहती है कि राम रहीम किसी मामूली बात के लिए जेल में बंद नहीं बल्कि इस पर साध्वी यौन शोषण और छत्रपति की हत्या करवाने जैसे घृणात कांड सामने आये हैं और फिर भी सरकार इसके 'साफ सुथरे चाल चलन' के आधार पर पैरोल पे पैरोल दिये जा रही है ! अब चाल , चरित्र और चेहरा तो सामने आ चुके हैं लेकिन दिल है कि मानता नहीं । कहीं चुनाव जीतने की बेकरारी में राम रहीम को पैरोल पर भेजने की तैयारी तो नहीं है !
क्या इसी को राजनीति में साम , दाम , दंड और भेद कहते है ? क्या यही राजनीति का असली चेहरा है ? पोस्टर किसी का और चेहरा किसी का ?
राजनीति को गंगा जैसी साफ सुथरी बनाने का अभियान चलाना पड़ेगा ,,,?
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।