ब्रांड इंडिया की चमक से देश के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि
भारतीय उत्पादों को वैश्विक मंच पर अच्छा रेस्पोंस मिल रहा है। ब्रांड इंडिया तेजी से उभरा है और महामारी से जूझने के बाद भी, निर्यातकों की मेहनत रंग ला रही है।
भारतीय उत्पादों को वैश्विक मंच पर अच्छा रेस्पोंस मिल रहा है। ब्रांड इंडिया तेजी से उभरा है और महामारी से जूझने के बाद भी, निर्यातकों की मेहनत रंग ला रही है। भारतीय निर्यात ने बीते माह शानदार प्रदर्शन करके इतिहास रच दिया। भारत ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 100 अरब डॉलर का निर्यात किया, जो अब तक का सबसे अधिक है। इस कारण से मार्च 2022 तक 400 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य पूरा होने की संभावना बढ़ी है। महामारी की दूसरी लहर ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को पश्त कर दिया, जिससे भारतीय बाजार फिर पुरानी स्थिति में लौट गया और नुकसान की भरपाई करने में जुटा है, लेकिन निर्यात के मामले में ऐसा नहीं है। दिसंबर में भारतीय माल की वैश्विक मांग में सुधार दिखने लगा, जब निर्यात 37.29 अरब डॉलर के उच्चतम मासिक स्तर पर पहुंच गया। होम टेक्सटाइल एक्सपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (हेवा) के संस्थापक अनंत श्रीवास्तव का कहना है कि यह एक महीने में अब तक का सबसे अधिक निर्यात है और अगली तिमाही में निर्यात 400 अरब डॉलर हो जायेगा, इसमें कोई शंका नहीं है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस के प्रेसीडेंट ने ट्वीट किया कि सर्वोच्च एक्सपोर्ट लेवल पर पहुंचना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अपने ट्वीट में लिखा कि मेक इन इंडिया के शेर की दहाड़ वाकई जोरदार है। भारत ने दिसंबर में एक्सपोर्ट का रिकॉर्ड बना डाला। इस बीच फैब्स, कॉटन यार्न, मेड-अप, हथकरघा उत्पादों के निर्यात में तेजी आ रही है और दिसंबर, 2020 से दिसंबर, 2021 के एक साल में 45.73 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज हुई है। इस पर, हेवा के निदेशक विकास सिंह चौहान का मानना है कि एक्सपोर्ट में कामयाबी की कहानी इस साल भी जारी रहेगी। लेकिन 2022-23 में 1 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य पाने के लिए प्रयास तेज करने होंगे। भारतीय अर्थव्यवस्था सकारात्मक संकेत दे रही है, क्योंकि यह पहले ही तीन तिमाहियों में 300 अरब डॉलर के निर्यात स्तर को पार कर चुकी है। निर्यात में वृद्धि सरकार के कुछ फैसलों के चलते भी हुई है, जैसे आरओएससीटीएल का विस्तार, आरओडीटीईपी की सुविधा, निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के लिए सितंबर में 56,000 करोड़ रुपये की लंबित बकाया राशि का भुगतान और दूसरी लहर में लॉकडाउन के दौरान मिली छूट आदि।
महामारी के बाद अमेरिका व यूरोप जैसे प्रमुख आयातक बाजार कीमतों के बजाय टिकाऊ व पर्यावरण हितैषी उत्पादों और सेवाओं के प्रति अधिक जागरूक हुए हैं। लगभग सभी प्रमुख ब्रांड चाइना प्लस वन नीति पर चल रहे हैं, जिनमें भारत भी एक बड़ा लाभार्थी है। हेवा का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फलफूल रही है। उत्पाद लिंक्ड प्रोत्साहन योजना, मैगा एकीकृत पार्क योजना आदि के प्रति उद्योग बहुत सकारात्मक है। अगले कुछ वर्षों में 1 ट्रिलियन डॉलर निर्यात और 5 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी पाने के लिए उच्च माल ढुलाई शुल्क, कच्चे माल की लागत, प्रमुख एफटीए की कमी, इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) जैसे पूर्ण कार्यात्मक वैकल्पिक मार्ग जैसी कुछ चुनौतियां भी सामने हैं। भारत को अगले कुछ वर्षों में 100 अरब डॉलर के कपड़ा निर्यात लक्ष्य को पाने के लिए कॉटन में कच्चे माल की बढ़ती लागत को नियंत्रित करने के लिए भी एक व्यवस्था बनाने की जरूरत है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)