संदर्भ: द कश्मीर फाइल्स 

फिल्में और राजनीति 

संदर्भ: द कश्मीर फाइल्स 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
फिल्में और राजनीति काफी जुड़ी हुई बातें हैं । अब से नहीं स्वतंत्रता से पूर्व तक । यह चोली दामन का साथ बना हुआ है । हाल ही में रिलीज 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म ने एक बार इस बात को साबित किया है । कोई फिल्म स्क्रीन पर चल रही हो और हाॅल में अपनी तरह की नारेबाजी । क्या यह प्रमाण नहीं इस बात का कि इसके निर्माण के पीछे मंशा क्या है और किसकी है ? समाज को किस कदर प्रभावित करती हैं फिल्में यह हम सब अच्छी तरह जानते हैं । इसका प्रभाव बढ़ता जा रहा है । चर्चा और बहस व विवाद भी । फिल्म को लेकर यह माना जा रहा है कि जो कुछ कश्मीर में हुआ उसे आज तक छिपाया गया । लेकिन यह भी चर्चा है कि इसे अब प्रदर्शित कर क्या संदेश दिया जा रहा है और किसको ? जैसे एक समय माचिस ने प्रभाव छोड़ा था , वैसे ही `द कश्मीर फाइल्स' छोड़ने वाली है । इससे पहले अनुपम खेर ने फिल्म बनाई एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर और इस पर भी विवाद हुआ और यह फिल्म चुनाव के बाद रिलीज हुई लेकिन ज्यादा प्रभाव न छोड़ पाई ।

माचिस को बड़ी संवेदनशीलता से बनाया था गुलज़ार ने और उस पर एक विशेष समाज पर हुए अत्याचारों के पीछे की मानसिकता से गलत दिशा में युवा वर्ग को जाते दिखाने में सफलता मिली थी । कुछ कुछ आंधी ने भी माचिस जैसा काम किया था । 

इनसे पहले भारत कुमार यानी मनोज कुमार ने लाल बहादुर शास्त्री के नारे जय जवान , जय किसान पर आधारित फिल्म बनाई थी -उपकार हालांकि पहले नाम ही इसी नारे पर रखा था लेकिन बाद में बदल कर उपकार रखा गया । यह फिल्म हिट रही लेकिन जब अक्षय कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत और शौचालय पर फिल्म बनाई -टाॅयलेट एक प्रेम कथा , यह बुरी तरह पिट गयी । सुनील दत्त ने मुझे जीने दो डाकुओं के समर्पण पर बनाई और हिट रही ।

आपातकाल में जब नाहटा ने फिल्म बनाई किस्सा कुर्सी का तो इस पर सरकार की टेढ़ी नजर पड़ गयी और रह फिल्म ढंग से कभी सामने ही न आ पाई । इसका मूल तो एडिटिंग और सेंसर में ही दबा दिया गया । इसी तरह विवादों में पिछले विधानसभा चुनाव में आ गयी उड़ता पंजाब । इसे बनवाने के पीछे आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की प्रेरणा और फंडिंग तक बताई गयी थी जिसे इसके निर्देशक ने पूरी तरह नकार दिया । 
खैर , यह फिल्म और राजनीति का चोली दामन का साथ चलता और बढ़ता रहेगा ।

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।