धर्म व अध्यात्म अलग नहीं - सुधांश
धर्म संस्कृति व अध्यात्म को समाज से अलग करके नहीं देखा जा सकता।भारतीय ऋषि मुनियों- मनीषियों ने भी ग्रंथों में इसकी चर्चा की है। नैतिकता का प्रश्न आज एक वैश्विक शब्दार्थ बनकर उभरा है राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी जी ने यह विचार सराय काले खां के मानव मंदिर मिशन ट्रस्ट मे रखे। मानव मंदिर के 42 वें वार्षिकोत्सव में त्रिवेदी मुख्य अतिथि रहे। आचार्य रूपचंद्र के सान्निध्य में साध्वी कनकलता और समताश्री के सहयोग से योगी अरुण ने संचालन किया ।आयोजन में प्रो शंकर सान्याल , आलोक कुमार , संतोष तनेजा और नरेश चंदानी आमंत्रित रहे, जिन्होंने अपने विचार व्यक्त किए। आनंद और रत्ना नाहर, जितेंद्र कोठारी , डा. आशु और अंजना रस्तोगी, वंदना और दिलीप ने विदेश से पहुंचकर शिरकत की। गुरुकुल के बालक और बालिकाओं द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई । आचार्य रूपचंद्र ने अपने उद्बोधन में ट्रस्ट की भावी योजनाओं और दायित्व की घोषणा भी की। रूपचंद्र के 151 लेखों की 260 पृष्ठों की पुस्तक “सच्चं भयवं” का लोकार्पण भी किया गया, जिसका संपादन डॉ. अरुण प्रकाश ने किया है। इस मौके पर डॉ.गौरी शंकर रैना और प्रो.फूलचंद मानव भी विशिष्ट अतिथियों के रूप में आमंत्रित थे।