साहित्यकारों को सदैव याद रखने से युवाओं में संस्कार आते हैं: भारतीय
सिरसा : साहित्यकारों को सदैव याद रखने से समाज और विशेषकर युवाओं में संस्कार आते हैं । समाज साहित्य से कटता जा रहा है और साहित्यिक समारोह घटते जा रहे हैं , इस परंपरा को बनाये रखना जरूरी है ।
हरियाणा ग्रंथ अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार कमलेश भारतीय ने ये उद्गार सिरसा के विकास हाई स्कूल में कलम प्रलेस व भगत सिंह संस्थान द्वारा आयोजित 'स्मृति में शेष' कार्यक्रम में व्यक्त किए पूरन मुद्गल की जयंती के अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्यातिथि के रूप में व्यक्त किये । कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश शास्त्री ने की जबकि गरिमापूर्ण मंच संचालन विशाल वत्स ने किया तो धन्यवाद ज्ञापन पूरन मुद्गल जी की बेटी और जननायक विद्यापीठ की एम डी व साहित्यकार डाॅ. शमीम शर्मा ने किया ।
स्वर्ण सिंह विर्क व कमलेश भारतीय ने प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल के साहित्यिक योगदान पर , डाॅ. मनोज छाबड़ा ने डाॅ. मधुसूदन पाटिल के योगदान पर तो हरभगवान चावला ने पूरन मुद्गल के व्यक्तित्व व कृतित्व पर सारगर्भित विचार रखे । स्वर्ण सिंह विरक ने मंगलेश की अनेक कविताओं का पाठ प्रस्तुत किया । इस तरह न केवल पूरन मुद्गल बल्कि डाॅ. पाटिल और मंगलेश डबराल के योगदान पर भी बातचीत बहुत सार्थक रही । बीच बीच में कुछ साहित्यिक गीत सीमा जी, अनीता जी, नरेंद्र ग्रोवर, इंद्रजीत द्वारा भी प्रस्तुत किये गये जिससे माहौल बना रहा । डाॅ. शमीम शर्मा ने अपने पिता की कुछ कमजोरियों की ओर भी इंगित करते कहा कि वे सदा उनके आईकाॅन रहे हैं और रहेंगे ।
इस गरिमापूर्ण आयोजन में सीमा वत्स ,इंद्रजीत, एम आर वाशिष्ठ , राजकुमार निजात , हलदयाल बेरी, डाॅ रूप देवगुण, डाॅ शील कौशिक , मेजर शक्ति कौशिक, डाॅ आरती बंसल , ज्ञानप्रकाश पीयूष , सुरेश वर्णवाल, श्रीमोहन शर्मा, युधिष्ठिर, आरती बंसल , प्रियंका भारद्वाज , अनिता शर्मा, ज्योति सेतिया, नीलम , रश्मि, मोनिका बामणिया, दीपिका शर्मा, रानी ग्रोवर, सूरजीत शिरडी नवनीत सिंह आदि की उपस्थिति से कार्यक्रम सार्थक रहा ।