बार-बार होने वाले दंगे मौजूदा सरकार की विफलता का नतीजाः पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा
कहा, हर व्यक्ति को सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी लेकिन बीजेपी-जेजेपी नाकाम।
रोहतक, गिरीश सैनी। हरियाणा में बार-बार हो रहे दंगे मौजूदा सरकार की विफलता का नतीजा है। क्योंकि प्रदेश की जनता को सुरक्षा मुहैया करवाना सरकार की जिम्मेदारी होती है। लेकिन ऐसा करने में मौजूदा सरकार हमेशा विफल हुई है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। रोहतक में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए हुड्डा ने कहा कि मेवात में हुई हिंसा के मुद्दे को कांग्रेस विधानसभा में उठाएगी। इस हिंसा की वजह से बड़ी तादाद में लोग प्रभावित हुए हैं। किसी के मकान तो किसी दुकान पर हमला किया गया और कई लोगों की जान चली गई। इतना ही नहीं कानून व्यवस्था के चरमराने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी दूरगामी असर देखने को मिलेगा।
गुरुग्राम को कांग्रेस ने मिलेनियम सिटी के तौर पर स्थापित किया था। वहां पूरी दुनिया से बड़ी-बड़ी कंपनियों ने आकर निवेश किया और कई मल्टीनेशनल कंपनियां स्थापित हुईं। लेकिन हिंसा के चलते एमएनसीज को कई दिनों तक छुट्टी करनी पड़ी और कामगार पलायन करना पड़ा। जाहिर है कि इसके चलते गुरुग्राम समेत पूरे हरियाणा में होने वाले निवेश पर असर पड़ेगा। निवेश नहीं होने की वजह से बेरोजगारी और बढ़ेगी।
हुड्डा ने कहा कि हरियाणा की पहचान पूरी दुनिया में उसके भाईचारे के लिए होती थी। मेवात में तो बंटवारे के वक्त भी दंगे नहीं हुए। लेकिन आज यह नौबत क्यों आई, इसका जवाब खुद बीजेपी के नेता राव इंद्रजीत सिंह दे रहे हैं। खुद सरकार के लोग उसकी कार्यशैली और विफलता के बारे में बता रहे हैं। स्थानीय पुलिस द्वारा सरकार को कई दिन पहले रिपोर्ट दिए जाने के बावजूद हिंसा रोकने के लिए सही समय पर सही कदम नहीं उठाए गए। इसका नतीजा दंगों के रूप में देखने को मिला। अब सरकार की प्राथमिकता दोषियों को सख्त सजा दिलाना और इलाके में फिर से शांति व भाईचारा कायम करना होनी चाहिए। हुड्डा ने लोगों से भी शांति बहाली में सहयोग करने की अपील की।
फसलों के मुआवजे पर पूछे गए सवाल के जवाब में हुड्डा ने कहा कि किसान कई साल से इंतजार में बैठे हैं। पिछले दिनों आई बाढ़ का मुआवजा अब तक किसानों को नहीं मिला है। मुआवजे के नाम पर सरकार सिर्फ बयानबाजी करती है। पीएम फसल बीमा योजना में सरकार का एक और गड़बड़झाला सामने आया है। इस बार जानबूझकर बीमा कंपनियों को नोटिफाई करने में देरी की गई। इसके चलते मई, जून और जुलाई में हुए खराबे के लिए किसान क्लेम ही नहीं कर पाए। क्योंकि क्लेम के लिए किसानों को 72 घंटे के भीतर अपील करनी पड़ती है। लेकिन 3 महीने तक किसानों को पता ही नहीं था कि कौन सी कंपनी को क्लेम करना है।
इतना ही नहीं, इस बार जिन कंपनियों को बीमा के लिए नोटिफाई किया गया, उनके खिलाफ अन्य कंपनियां हाईकोर्ट गई हैं। इन कंपनियों का कहना है कि बीमा का टेंडर देने में सरकार द्वारा अनियमितता बरती गई। एल1 की बजाए एल2 कंपनी को टेंडर दे दिया गया।
राहुल गांधी पर आए फैसले पर टिप्पणी करते हुए हुड्डा ने इसका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि निचली अदालत की तरफ से आए फैसले को पढ़ने से स्पष्ट हो गया था कि यह सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिकेगा। क्योंकि देश के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ कि मानहानि के मामले में किसी को अधिकतम 2 साल की सजा दी गई हो। अब राहुल गांधी की संसद सदस्यता फिर से बहाल होने का रास्ता साफ हो गया है। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री के साथ रोहतक के विधायक भारत भूषण बतरा भी मौजूद रहे।